अब्दुल अज़ीज़
बहराइच, यूपी
मुसलमानों के बीच फ़लाह और बहबूदी के लिये काम कर रही मुकामी हक़ीक़त-ए-इस्लाम ज़कात फाउंडेशन ने एक दिवसीय जलसा आयोजित किया। ये जलसा तक़सीम-ए-इमदाद बराय फरोग रोज़गार स्थानीय नगर पालिका सभागार में आयोजित किया गया। इसकी सदारत ज़िले के सीनियर पत्रकार सलीम सिद्दीकी ने की।
प्रोग्राम का आगाज़ तिलावत-ए-कलाम पाक से किया गया। इस मौके पर तंज़ीम के सदर सै राशिद अतहर ने तंज़ीम की अहमियत और इसके काम काज पर चर्चा की और कहा कि ज़कात इस्लाम के बुनियादी रुकनों में से एक रूक्न है। इसके ज़रिये अपने इस्लामी भाई-बहनों की मदद करने का हुक्म अल्लाह पाक की तरफ से हम पर आयद किया गया है। उन्होंने कहा कि इसकी नाफ़रमानी करने वाला अल्लाह का गुनाहगार होता है। अल्लाह पाक की तरफ से इस्लाम की पाँच अहम बुनियाद बतायी गयी है जिसमें से किसी एक के मानने और अपनाने में की गयी लापरवाही या इन्कार अल्लाह के अहाकामों की नाफ़रमानी है और उसके लिए वह सजा का मुस्तहक़ करार दिया गया है।
सदर सै राशिद अतहर ने बताया कि इसी में से एक रुक्न ज़कात के बारे में भी हुक़्म है कि ज़कात के अदा करने का जो तरीका बताया गया है उसी के मुताबिक अदा किया जाना चाहिए। उन्ही सब चीजों को ध्यान में रखते हुये कुछ चुनिन्दा साथियों की मदद से तीन साल पहले इस तंज़ीम को कायम किया गया था। इसके ज़रिये ज़कात के पैसों को इकट्ठा करके समाज के लोगों को रोज़गार से जोड़ने और उनकी आर्थिक तंगी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
सदर सै राशिद अतहर ने कहा कि इस तंज़ीम के ज़रिये समाज के उन लोगों की मदद करके ये कोशिश की जा रही है कि कल तक जो लोग ज़कात ले रहे थे उनको हम अपनी इन कोशिश से ज़कात लेने के बजाय ज़कात देने वाला बना दें। तंज़ीम के सदर ने तंज़ीम के पिछले साल के हिसाब किताब से लोगों को रूबरू करते हुए बताया कि पिछली साल जहाँ तंज़ीम की जानिब से 10 लोगों की मदद कर उनके जीवन स्तर को संवारने का प्रयास किया गया वहीँ इस साल 14 लोगों को रोज़गार से जोड़ने के लिए आर्थिक मदद, सिलाई मशीन, रिक्शा आदि मुहैया कराया गया है।
सदर सै राशिद अतहर ने बताया कि मदद पाने वालों में पाँच लोगों को रिक्शा, दो औरतों को सिलाई मशीन, परचून की दुकान व दीगर कामों के लिए आर्थिक मदद और कुछ को लड़कियों की शादी के लिए मदद दी गई। इसके साथ साथ इसी साल एक ऐसी तालीमगाह की भी शुरुआत की गयी है जहां पर उम्र दराज लोगों को अरबी और कुरआन करीम की तालीम दिलायी जायगी।
इसी दौरान अपने संबोधन में कार्यक्रम के सदर सलीम सिद्ददीकी ने अरबी तालीमगाह के लिए माली मदद करने का ऐलान करते हुए सुझाव दिया कि तंज़ीम अपने इन कामों के साथ साथ मुस्लिम समाज के जो बेगुनाह लोग किसी वजूहात से जेलों में बंद हैं और पैसों की तंगी की वजह से जेल से बाहर नही आ पा रहे हैं, तंज़ीम के जरिये उनकी मदद करके जेल से बाहर लाने के लिए भी काम करना चाहिए। सदर की इस बात का लोगों ने स्वागत भी किया।
कार्यक्रम का संचालन कर्मचारी नेता शाहिद जमील सिद्दीकी ने किया। इस मौके पर मास्टर अतहर, मौ शरीफ, नन्हे भाई वगैरह ने भी अपने अपने ख्यालातों का इज़हार किया। आज के इस कार्यक्रम के जरिये कमरुद्दीन, सीमा बेगम, ज़मीर आलम, सुहैल, इंसान अली, पीरू, सुल्तान, मीना, शकील अहमद, ज़ाहिद अली, जसीम, शाकिर अली, तरन्नुम और निजाम की तंज़ीम की तरफ से आर्थिक मदद करते हुए उनके मुस्तकबिल को संवारने की पहल की गयी।