लखनऊ, यूपी
यूपी में बूचड़खानों और गोश्त की दुकानों को बंद किये जाने के मामले में प्रदेस सरकार के महाधिवक्ता ने बताया कि 44 वैध बूचड़खानों के लाइसेंस सरकार ने जारी कर दिए हैं। कोर्ट में दाखिला जवाब में प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया है कि आम लोगों को स्वच्छ मीट उपलब्ध हो सके, इसके लिए अवैध बूचड़खानों पर पाबन्दी लगाई गई है। जो लोग नियम कायदों और मानकों के तहत लाइसेंस मागेंगे उनको लाइसेंस दिया जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सुनवाई जारी रखते हुए अगली सुनवाई 9 मई को तय की है। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गई है कि मीट दुकानों का नवीनीकरण किया जाए और नए लाइसेंस भी जारी किए जाएं। यह आदेश न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने सईद अहमद व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए हैं।
याचिका में कहा गया है कि शहर में चल रही गोश्त की दुकानों व बूचड़खानों के लाइसेंस नवीनीकरण किये जाने की मांग नगर निगम सहित राज्य सरकार से की थी। 31 मार्च 2017 में गोश्त की दुकानों की लाइसेंस की अवधि पूरी हो गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि जब गोश्त दुकानों के नवीनीकरण की मांग की गई तो नवीनीकरम नहीं किया गया और कोई कार्रवाई नहीं की गई । नवीनीकरण न हो पाने की वजह से गोश्त की दुकानें नहीं चल पा रही हैं, जिससे याची को परेशानी हो रही है।
यूपी सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार नियम कायदों के अनुसार चल रहे बूचड़खानों व गोश्त की दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह आम लोगों को शुद्ध चीजें उपलब्ध कराए। याचिकाकर्ताओं की ओर से भी इस मामले में बहस की गई। अगली सुनवाई 9 मई को सुनिश्चित की गई है।