लखनऊ, यूपी
राजधानी में मुठभेड़ में मारे गए संदिग्ध सैफुल्लाह मामले की योगी सरकार ने मजिस्ट्रेट से जांच के आदेश दिए हैं। पिछले महीने 8 मार्च को यूपी ATS की टीम ने राजधानी लखनऊ में 11 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद एक संदिग्ध सैफुल्लाह को मार गिराया था। पुलिस ने जावा किया था कि उसके कब्जे से कुछ हथियार और दस्तावेज भी बरामद हुए थे। संदिग्घ सैफुल्लाह एनकाउंटर मामले में मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश डीएम की तरफ से जारी किए गए हैं। ये जांच लखनऊ सदर के एसडीएम संजय पाण्डे करेंगे। इस जांच में आम लोग भी साक्ष्य के बारे में प्रशासन बता सकते हैं।
इस मामले में राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने जांच की मांग की थी। उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी खुद सैफुल्लाह के घर गए थे और उनके परिवार वालों से मुलाकात की थी। बाद में इस मामले में यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर दलजीत चौधरी के आदेश पर मौलाना रशादी के खिलाफ परिवार को भड़काने का केस दर्ज किया गया था। मौलाना रशादी उसी दिन लखनऊ में शाम को प्रेस कांफ्रेंस करने वाले थे लेकिन पुलिस ने उलेमा कौंसिल के प्रदेश कार्यालय को घेर लिया था।इसके बावजूद पुलिस मौलाना रशादी को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी।
दरअसल, मध्य प्रदेश में हुए ट्रेन बम धमाके की जांच में इसका खुलासा हुआ था। उसके बाद लखनऊ में एटीएस ने संदिग्ध सैफुल्लाह के ठिकाने पर हमला बोला था। मुठभेड़ 11 घंटे तक चली जिसमें उसे मार गिराया गया। यूपी एटीएस के आईजी असीम अरूण के मुताबिक सैफुल्लाह को ज़िंदा पकड़ने की हर संभव कोशिश की गई थी। उन्होंने बताया कि पहले कैमरों में देखने पर ऐसा लग रहा था कि वहां दो आतंकी छिपे हैं, लेकिन अंदर एक ही आतंकी छिपा था।
पुलिस ने घर में तलाशी अभियान में आईएसआईएस से जुड़े कई दस्तावेज और भारी संख्या में हथियार और गोला-बारुद बरामद करने का दावा किया था। यूपी एटीएस ने दावा किया था कि संदिग्ध सैफुल्लाह ISIS से प्रभावित खुरासान माड्यूल का सदस्य था। हालांकि बाद में उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून और व्यवस्था) दलजीत सिंह चौधरी ने कहा कि सैफुल्लाह और उसके साथियों का आईएसआईएस से कोई सीधा संपर्क नहीं था।
पुलिस इनकाउंटर में मारे गए सैफुल्लाह के घर पहुंचे मौलाना रशादी