लखनऊ, यूपी
पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों को फंसाने के लिए योगी सरकार यूपीकोका कानू ला रही है। अगर सीएम योगी को यूपी में वाकई कानून का राज स्थापित करना है तो पहले गोरखपुर दंगे में अपनी भूमिका की जांच का आदेश दें। एक तरफ जब सीएम योगी पर ही अपराध का आरोप लगा है तो कैसे यूपी अपराध मुक्त प्रदेश बनेगा। ये बातें रिहाई मंच ने एक प्रेस रिलीज में कहीं है।
रिहाई मंच ने आगे कहा है कि विपक्ष से सदन में यूपीकोका के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। दूसरी तरफ रिहाई मंच यूपीकोका कानून के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाएगा। रिहाई मंच ने योगी सरकार द्वारा यूपीकोका लाए जाने पर सवाल किया कि क्या 2007 में गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के भाषण के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा जैसी वारदातें इसके दायरे में आएंगी। रिहाई मंच ने कहा कि यूपीकोका के लिए जो तर्क दिए जा रहे हैं वो बेबुनियाद हैं।
रिहाई मंच ने कहा है कि आईपीसी, गैंगेस्टर एक्ट जैसे बहुतेरे कानून पहले से मौजूद हैं। इसके तहत इन आपराधिक मामलों को हल किया जा सकता है। इसलिए यूपीकोका कानून लाने का कोई औचित्य ही नहीं है। सिवाए इसके कि इसके ज़रिए मुसलमानों को फंसाया जाए। जैसा कि मकोका और दूसरे कानूनों के तहत अब तक किया जाता रहा है। रिहाई मंच विपक्षी दलों से यूपीकोका के खिलाफ सदन में सवाल उठाने की अपील की है। इसके साथ ही मानवाधिकार और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत सूबे में यूपीकोका के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरु करेगा।