नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए इमरान का भाई मोहसिन अपने भाई की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए करीब दो सप्ताह से दर-दर भटक रहा है। उसे हर जगह से एक ही जवाब मिलता है कि , “कल आना, रिपोर्ट अभी नहीं आई…”
मोहसिन ने फोन पर बताया कि, “मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों नहीं दे रही है। आखिर इतनी देर क्यों और किसलिए हो रही है?”
मोहसिन अकेला नहीं है, जो इस तरह से परेशान घूम रहा है। 20 दिसंबर को मेरठ में हुए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 4 युवाओं की मौत हुई थी। इन सभी के परिवारों का कहना है कि पुलिस जानबूझकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने में आनाकानी कर रही है।
इस हिंसा में आसिफ की भी मौत हुई थी। उसके चाचा नौशाद लगातार पोस्टमार्टम रिपोर्च के लिए मेरठ के लिसाड़ी गेट थाने के चक्कर लगा रहे हैं। उनका भी कहना है कि, “एक ही जवाब मिलता है कि जिला अस्पताल से अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है।” नौशाद ने बताया कि इस सिलसिले में उन्होंने स्थानीय नेताओं से भी मुलाकात कर गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
इस बारे में एक स्थानीय कांग्रेस नेता जाहिद अंसारी ने बताया कि वे पीड़ित परिवारों से मिले थे। उनके मुताबिक, “ये परिवार खौफ में हैं। ज्यादातर लोग थाने जाने से डर रहे हैं। उन्हें भय है कि कहीं उन्हें भी झूठे मामले में गिरफ्तार न कर लिया जाए। लोग अकेले तो बिल्कुल थाने नहीं जाना चाहते। वे ग्रुप में जाते हैं। कई बार पूरा मुहल्ला साथ होता है ताकि किसी अकेले के खिलाफ कोई मामला न बने।” उन्होंने बताया कि लोग 20 दिसंबर की हिंसा की बात करने में भी कतराते हैं क्योंकि उन्हें शक है कि पुलिस के ‘जासूस’ आम लोगों की तरह उनके बीच आ सकते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस दरअसल इसलिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने में आनाकानी कर रही है क्योंकि सभी मौतें गोली लगने से हुई हैं। ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर लोग पुलिस को अदालत में घसीट सकते हैं। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अभी तक इस बयान पर कायम हैं कि पुलिस फायरिंद में किसी की मौत नहीं हुई, हालांकि बिजनौर और मेरठ के एसपी स्वीकार कर चुके हैं कि दो लोगों की मौत पुलिस फायरिंग में हुई है। दोनों एसपी का दावा है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी।
इस बारे में बात करते हुए अनीस अहमद नाम के वकील ने कहा कि, “सच छिपाने की कोशिशें हो रही हैं। लेकिन एक न एक दिन सच सामने आना ही है। देखते हैं कि आखिर कब तक पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट को दबाकर बैठती है। हमें भरोसा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस का झूठ सामने आ जाएगा।” अनीस अहमद जमीयत-उलेमा ए हिंद के सदस्य भी हैं और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की कानूनी मदद कर रहे हैं।
दूसरी तरफ पुलिस अधिकारी प्रशांत कुमार ने बताया कि पुलिस अपनी तरफ से कोई देरी नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने की एक प्रक्रिया है। पीड़ित परिवारों को भी इस प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। अगर कोई समस्या है तो वे एसएसपी के पास जा सकते हैं।