यूपी उपचुनाव के नतीजे मायावती और उनकी बीएसपी के लिए काफी निराशाजनक रहे हैं। यूपी में 11 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीएसपी एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई। बीएसपी ने अपनी जलालपुर सीट भी गंवा दी। इसके साथ ही बीएसपी के वोट शेयर भी काफी कम रहे।
11 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीएसपी को 9 सीटों के वोट शेयर में गिरावट दर्ज की गई। बीएसपी की तुलना में एसपी-बीएसपी गठबंधन से अलग होकर समाजवादी पार्टी ने कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। सपा ने इस उपचुनाव में 3 सीटों पर जीत हासिल की। 5 सीटों पर उसके वोट शेयर में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
मायावती को बीएसपी की हार में बीजेपी की साजिश नजर आती है। चुनाव नतीजों के बाद किए ट्वीट में मायावती ने बीएसपी के एक भी सीट नहीं जीतने और समाजवादी पार्टी के 3 सीटों पर जीत को बीजेपी की साजिश बताया। हालांकि हकीकत तो ये है कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने जिस तरह से 10 सीटों पर जीत हासिल करके वापसी की थी। अब उन्होंने गठबंधन से अलग होकर अपनी पार्टी का नुकसान कर लिया है।
बीएसपी मुख्य विपक्षी दल की रेस से हुई बाहर
बीएसपी अब यूपी में मुख्य विपक्षी दल की रेस से भी बाहर हो चुकी है। इसमें समाजवादी पार्टी ने बाजी मार ली है। 2022 में यूपी में विधानसभा के चुनाव होने हैं। समाजवादी पार्टी और बीएसपी दोनों इस चुनाव से पहले खुद को सबसे बड़े विपक्षी दल के तौर पर जनता के सामने आना चाहते हैं। लेकिन बीएसपी को इसमें बड़ा झटका लगा है।
बीएसपी के लिए सबसे परेशान करने वाली खबर जैदपुर सीट से मिली है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर बीएसपी चौथे नंबर पर रही है। इस सीट पर बीएसपी फाइट भी नहीं कर पाई। जैदपुर सीट से बीएसपी उम्मीदवार अखिलेश कुमार अंबेडकर को सिर्फ 8.21 फीसदी वोट हासिल हुए। यहां से समाजवादी पार्टी के गौरव कुमार ने जीत हासिल की। बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशी दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे। अगर एससी रिजर्व सीट पर भी बीएसपी को इतना बड़ा झटका लग सकता है तो बीएसपी को नए सिरे से सोचना होगा।
आरक्षित सीट पर भी बीएसपी के वोट शेयर घटे
अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व एक और बलहा सीट पर भी बीएसपी को नुकसान उठाना पड़ा है। बलहा सीट पर बीएसपी का वोट शेयर 28.91 फीसदी से गिरकर 17 फीसदी रह गया। यहां से बीजेपी की सरोज सोनकर ने समाजवादी पार्टी की किरण भारती को शिकस्त दी। बीएसपी तीसरे नंबर पर रही। यहां तक की इस सीट पर समाजवादी पार्टी को हार मिलने के बावजूद उसका वोट शेयर बढ़ा है। एसपी का वोट शेयर 14.57 से बढ़कर 23.27 फीसदी हो गया। सुरक्षित सीट पर भी बीएसपी से ज्यादा अच्छा समाजवादी पार्टी प्रदर्शन कर रही है।
बीएसपी का वोट शेयर सिर्फ 2 विधानसभा सीटों में बढ़ा है। वो हैं- मानिकपुर और इगलास विधानसभा सीट। बीएसपी का वोटशेयर 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में लगातार कम हुआ है। पिछले महीने के हमीरपुर विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में भी वोट शेयर कम हुआ था।
दलितों के साथ मुस्लिमों का भी मोहभंग हुआ
हाई प्रोफाइल रामपुर सीट समाजवादी पार्टी बचाने में कामयाब रही है। 2017 की तुलना में समाजवादी का वोट शेयर 47.74 से बढ़कर 49.13 हुआ है। जबकि बीएसपी का वोट शेयर यहां भी कम हुआ है। 2017 में यहां बीएसपी का वोट शेयर 25.36 फीसदी था, जो अब घटकर 2.14 रह गया है। यहां तक की इस सीट से हारने के बावजूद बीजेपी का वोट शेयर 25.84 से बढ़कर 44.34 हुआ है।
बीएसपी के लिए दलितों के साथ मुस्लिमों का भी मोहभंग हुआ है। गंगोह विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा दलित और मुस्लिम आबादी है। 2017 में यहां बीएसपी का वोट शेयर 17.44 फीसदी था, जो अब घटकर 14.37 रह गया है। जबकि समाजवादी पार्टी का वोटशेयर 18.42 फीसदी से बढ़कर 25.55 हुआ है। इस सीट पर कांग्रेस का वोट शेयर भी 23.95 से बढ़कर 28 फीसदी हुआ है।
मुस्लिम और ओबीसी बहुल घोसी सीट पर बीएसपी का वोट शेयर 33.87 फीसदी से कम होकर 23 फीसदी रह गया है। मुस्लिम और ब्राह्मण बहुल जलालपुर सीट पर बीएसपी उम्मीदवार को समाजवादी पार्टी के हाथों 760 वोटों से हार मिली। यहां बीएसपी वोट शेयर 37.75 से घटकर 31.25 रह गया।
बीएसपी को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी
लखनऊ कैंटोनमेंट में बीएसपी का वोट शेयर घटकर सिर्फ 9.64 फीसदी रह गया। यहां से 51 फीसदी वोट शेयर पाकर बीजेपी उम्मीदवार ने जीत हासिल की। प्रतापगढ़ सीट से बीजेपी की सहयोगी अपना दल के उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। यहां बीएसपी का वोट शेयर 22.82 फीसदी से घटकर 12.74 फीसदी रह गया है। गोविंदनगर सीट पर बीएसपी का वोटशेयर 15.65 से घटकर सिर्फ 4.52 फीसदी रह गया।
बीएसपी को अपनी पॉलिटिकल स्ट्रैटेजी पर नए सिरे से सोचना होगा। बीएसपी ने पहली बार उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया था। उसने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव में उतरने का फैसला किया था। बीएसपी की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। जबकि समाजवादी पार्टी को अकेले चुनाव में उतरने का फायदा मिला है।
2017 के मुकाबले समाजवादी पार्टी का वोटशेयर 21.82 फीसदी से बढ़कर 22.61 फीसदी हुआ है। समाजवादी पार्टी ने जैदपुर सीट बीजेपी से और जलालपुर सीट बीएसपी से झटक ली। लोकसभा चुनाव में 10 सीटें झटकर आत्मविश्वास में आई बीएसपी के लिए उपचुनाव के नतीजे खतरे की घंटी हैं।