प्रतापगढ़, यूपी
प्रतापगढ़ की राबिया की मौत के करीब 48 घंटे बीत गए हैं। इसके बाद भी अभी तक उसे इंसाफ दिलाने के लिए आवाज़ उठाने वाले सामने नहीं आए हैं। ये ज़रूर है कि गिनती के चंद लोगों ने सोशल मीडिया पर राबिया के साथ हुई दरिंदगी पर अफसोस का इंज़हार किया है। पर जिस तरह से चंदन गुत्ता और अंकित सक्सेना के लिए आवाज़ उठाई गई वैसी आवाज़ राबिया के लिए क्यों नहीं उठी। या फिर दिल्ली में निर्भया के लिए जो लोग कैंडल लेकर निकले थे उनमें से कोई अभी तक क्यों सामने नहीं आया।
दिल्ली के अंकित सक्सेना की हत्या को मुसलमान से जोड़कर सोशल मीडिया पर सेक्यूलरिज्म की चादर ओड़े लोगों ने मुसलमानों पर खूब हमले किए। कुछ लोगों ने तो सोशल मीडिया पर पोस्ट की बाढ़ लगा दी। पर जब राबिया पर हैवानियत की बात आई तो सब चुप हो गए। उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा है। दरअसल ये लोग शेर की खाल में गीदड़ है जो सिर्फ मुसलमानों को निशाना बनाते रहे हैं।
मालूम हो कि दो दिन पहले प्रतापगढ़ में दबंगों ने एक मुस्लिम टीचर राबिया के साथ हैवानियत की सारे हदें पार कर दी थी। राबिया ज़िले की ही एक स्कूल में टीचर थी। उसका परिवार दिल्ली में रहता है। वो यहां अकेले रहती थी। दो दिन पहले रात को कुछ हैवान ने राबिया के घर धुसे और उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की। राबिया ने अपने बचाव में हर कोशिश की।
जब हैवानों को कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने लोहे के राड, चाकू से उसके ऊपर कई वार किए। राबिया के हाथ-पैर काटे गए। कई जगह हाथ पैर तोड़ दिए गए। राबिया चीखती-चिल्लाती रही पर हैवान उसके साथ दरिंदगी करते रहे। जब पड़ोस के लोग पहुंचे तो राबिया बुरी तरह घायल थी। पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल में राबिया ने दम तोड़ दिया।