सूर्य प्रताप सिंह, पूर्व आईएएस
लखनऊ, यूपी
सरकारों से नहीं, केवल उनके झूठे वादों से वहशत(रोष) होती है!
सरकारें यदि झूठ बोलेंगी तो हम तो सवाल पूछेंगे। झूठ बोलने वालों को आइना दिखाना हमारा काम है। झूठ का मुँह काला होना ही चाहिए। जब मैं अखिलेश सरकार की आलोचना करता था तो अखिलेश यादव को लगता था कि मैं ये सब भाजपा के इशारे पर कर रहा था। अब यदि भाजपा के झूठ का पर्दाफ़ाश करता हूँ तो उन्हें लगता है कि मैं विरोधी पार्टियों के हितार्थ कर रहा हूँ।
हम न तब बदले थे और न आज। व्यवस्था की ख़ामियों व झूठ को उज़ागर मैं तब भी कर रहा था और आज भी कर रहा हूँ। चाहे किसी को अच्छा लगे और चाहे बुरा। बड़े-बड़े झूठे स्वप्न दिखाकर ठगने वालों को कल भी आयना दिखाते थे और आज भी दिखाएँगे। कोई भी सरकार हो यदि वह युवाओं-किसानों-ग़रीबों को धोखा देकर ख़ालिस वोट की राजनीति करेगी। तो न हम चुप बैठेंगे और न ही आपको चुप रहना चाहिए।
क्यों न पूछे कि नीरव मोदी को किसने भगाया और कब वापिस आएगा। ललित मोदी को भी तो भगाया था आपने, जो आज तक वापिस नहीं आया। अब मीडिया तक में उसकी चर्चा भी समाप्त हो गयी। नीरव मोदी भी नहीं आएगा और सत्ता के हाथों बिके मीडिया की कृपा से कुछ दिन बाद नीरव मोदी की चर्चा भी बंद हो जाएगी। PNB से हमारा-आपका जमा धन लेकर भागा है ये दुष्ट और वह भी सरकार की कृपा से। तो क्यों न पूछे सवाल… आप तो इस वक़्त सत्ता के नशे में हो, आपको ‘राफ़ेल’ जैसे सवालों से क्यों चिढ़ होती है। जवाब तो दे दो। हम आज आपका बिगाड़ ही क्या लेंगे।
ऐ सत्ताधीशों ! समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से। अगले चुनाव में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी। याद रखो कि काठ की हांडी रोज़-रोज़ नहीं चढ़ती !
(सूर्य प्रताप सिंह पूर्व आईएएस हैं और राजनीतिक, सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से लिखते हैं)