नई दिल्ली
भीम आर्मी के प्रमुख चन्द्रशेखर रावण पर लगे रासुका को निरस्त करने और उनको तत्काल रिहा किये जाने की मांग को लेकर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने ज़ोरदार प्रदर्शन और मार्ट निकाला। ये प्रदर्शन और मार्च 11 मूर्ति से यू.पी. भवन तक निकाला गया। एसडीपीआई ने यूपी के राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन भेजा गया है जिसमें कहा गया है कि एसडीपीआई चन्द्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण के विरूद्ध रासुका के लगाने के योगी सरकार के फैसले का विरोध करती है। दूसरी तरफ इस मामले में दलितों की बात करने वाली मायावती बिल्कपल खामोश हैं। मायावती और बीएसपी की खामोशी सवालों के घेरे में हैं।
मालूम हो कि भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आज़ाद को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गुण और दोष के आधार पर उनके विरूद्ध दायर सभी केसों में जिस दिन ज़मानत मिली उसी दिन उत्तर प्रदेश की सरकार ने चन्द्रशेखर आज़ाद पर रासुका की कार्यवाही करके उनको जेल से बाहर आने पर रोक लगा दी। योगी सरकार का यो फैसला पूरे तौर पर राजनैतिक तथा विद्धेष्यपूर्ण कार्यवाही है। इसके साथ ही संवेधानिक व्यवस्था का पूरी तरह से दुरुपयोग किया गया है।
पीएनएस से बातचीत करते हुए एसडीपीआई के नेता डॉ निज़ामुद्दीन ने कहा कि एसडीपीआई मानवाधिकारों और नागरिक सुरक्षा के लिए हमेशा संघर्ष करती रही है। इसलिए एसडीपीआई मांग करती है कि चन्द्रशेखर आज़ाद पर लगाए गये राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी रासुका को निरस्त करते हुए उनको तुरन्त रिहा किया जाये।
ज्ञापन में ये भी कहा गया है कि केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा दलित आंदोलन को दबाने के लिए पूरे देश में निराशाजनक प्रयास किये जा रहे हैं। अपने अधिकारों के प्रति जंनता में जागरूकता लाने के लिए संघर्ष कर रहे युवाओं के नेतृत्व वाले दलित आंदोलन को दबाने का प्रयास राजनीति में चिंता का विषय बन गया है। भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में भीम आर्मी द्वारा दलितों के पुन्रोत्थान को रोकना संघ परिवार का एक दूषित नज़रिया सामने आया है। एनएसए जो शासन व प्रशासन को किसी व्यक्ति को दबाने व प्रताड़ित करने के लिए सक्षम बनाता है। यह असहमति को विफल करने के लिए शासन व प्रशासन द्वारा हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है और बड़े पैमाने पर प्रशासन द्वारा इस का दुरुपयोग किया जाता रहा है।
विरोध प्रर्दशन और मार्च में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शरफुद्दीन अहमद, पापुलर फ्रन्ट आफ इंडिया के पूर्व चेयरमेन ईएम अब्दुल रहमान, एसडीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद इलियास तुम्बे, मोहम्मद शफी, दिल्ली प्रदेश के संयोजक डा निज़ामुद्दीन खान, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मोहम्मद कामिल, दिल्ली प्रदेश कमेटी के सदस्य और कार्यक्रम संयोजक मनोज कुमार विद्रोही, जनसमाज पार्टी के संस्थापक प्रमुख अशोक भारती, विख्यात सामाजिक और राजनैतिक एक्टिविस्ट डा तस्लीम रहमानी, पूर्व आईटी कमिश्नर आरपी पानडिया सहित सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के सैकडों कार्यकर्ताओ ने भाग लेकर अपना विरोध प्रकट किया।