राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने सोमवार को कहा कि गंगा नदी का एक बूंद भी अब तक साफ नहीं हो सका है। एनजीटी ने साथ ही गंगा की सफाई के लिए परियोजना के नाम पर जनता के धन की बर्बादी को लेकर सरकारी एजेंसियों की आलोचना की।
अधिकरण ने सरकारी एजेंसियों से पूछा कि वे किस प्रकार से प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे परियोजना’ को लागू कर रहे हैं। एनजीटी ने कहा कि वह केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की शिकायतों को लेकर किसी तरह का नाटक नहीं चाहता है।
एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने नदी को साफ करने की योजना पर एकसाथ काम करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आपको एक लक्ष्य दिया है, इसे एक राष्ट्रीय परियोजना के तौर पर लीजिए। पीठ ने कहा कि यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य सरकारी एजेंसियों की गलती है, जो सही तरीके से अपना काम नहीं कर रहे हैं।
क्या आपने (अधिकारियों ने) अपना काम सही तरीके से किया है, आप यहां (अदालत के समक्ष) खड़े नहीं हो रहे। आपने कुछ भी नहीं किया है। आप लोगों के रुपयों को बर्बाद कर रहे हैं। सब कोई यह कह रहा है कि वे गंगा को साफ करने के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं लेकिन नदी की एक बूंद भी साफ नहीं हो सकी है। केंद्र ने गंगा नदी को साफ करने की परियोजना ‘नमामि गंगे’ के मद में 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि आवंटित की है।