शाहजहांपुर, यूपी
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में बेखौफ बदमाशों ने पत्रकार को गोली मार दी। पत्रकार अपने एक साथी के साथ घर की तरफ लौट रहा था। तभी रास्ते में उसके ऊपर बाईक सवार दो अज्ञात बदमाशों ने गोली चला दी। पत्रकार गोली लगने से घायल हो गया। घायल पत्रकार को उसका साथी जिला अस्पताल लेकर आया। जहां उसको भर्ती करके इलाज शुरू कर दिया गया है। वही घटना की सूचना मिलते ही एसपी, एसपी सिटी, सीओ सिटी समेत भारी पुलिस ने मौके पर पहुंच कर घटना के संबंध में जानकारी हासिल की। पुलिस घटना की जांच कर रही है।
घटना कच्चा कटरा मोहल्ले की है
चौक कोतवाली के कच्चा कटरा मोहल्ला निवासी अंकित शर्मा टीवी चैनल मे पत्रकार है। वह बीती रात करीब 11 बजे अपने साथी राहुल अवस्थी के साथ घर लौट रहा था। जैसे ही दोनो साउथ सिटी के पास पहुचे। वैसे ही सामने से आए दो अज्ञात बाईक सवार बदमाशों ने पत्रकार अंकित शर्मा पर फायरिंग कर दी। गोली अंकित शर्मा के हाथ मे लगी।
घटना को अंजाम देने के बाद बदमाश मौके से फरार हो गए। घटना के बाद पत्रकार का साथी घायल हालत मे पत्रकार को जिला अस्पताल लेकर आया। जहां उसको भर्ती करके इलाज शुरू कर दिया गया। घटना की सूचना मिलते ही एसपी एस चिनप्पा, एसपी सिटी दिनेश त्रिपाठी और सीओ सिटी महेंद्र पाल सिंह ने पहुचकर घटना के बारे मे जानकारी ली। पुलिस जल आरोपियों को पकड़ने की बात कर रही है।
घायल पत्रकार अंकित शर्मा के मुताबिक वह अपने साथी के साथ घर लौट रहा था। तभी सामने से आए दो बाईक सवार बदमाशों ने मेरे उपर फायर कर दिया। गोली लगते ही वह घायल होकर गिर गया। उसके साथी ने जिला अस्पताल लाकर भर्ती कराया।
वही एसपी सिटी दिनेश त्रिपाठी का कहना है कि पत्रकार को गोली मारने की घटना हुइ है। तहरीर मिलते ही मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी। साथ ही घटना की जांच शुरू कर दी गई है।
यूपी में सबसे ज्यादा होते हैं पत्रकारों पर हमले
उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले अखिलेश यादव की सरकार में हुए। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों पर हमले के 2014 में 63, 2015 में 1 और 2016 में 3 मामले दर्ज हैं। जबकि, 2014 में सिर्फ 4 लोग, 2015 में एक भी नहीं और 2016 में 3 लोग गिरफ्तार किए गए।
2017 में आई योगी आदित्यनाथ की सरकार। उसी साल आई एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में 2017 पत्रकारों पर 46 हमले हुए। इस रिपोर्ट के अनुसार 2017 में पत्रकारों पर जितने भी हमले हुए, उनमें सबसे ज्यादा 13 हमले पुलिसवालों ने किए हैं। इसके बाद, 10 हमले नेता और राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं और तीसरे नंबर पर 6 हमले अज्ञात अपराधियों ने किए।