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22 Nov 2024, Fri

अमेरिकी रिपोर्ट में भारत पर भेदभाव का आरोप

नई दिल्ली

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने 2014 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत पर अपने नागरिकों से धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2014 में धार्मिक भावनाओं से प्रेरित हत्याएं, गिरफ्तारियां, दंगे और धर्मांतरण का गवाह रहा है। कई मामलों में तो पुलिस सांप्रदायिक हिंसा को प्रभावी तरीके से रोकने में नाकाम रही है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा है कि कुछ सरकारी अधिकारियों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयान भी दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार अब भी धार्मिक भावनाओं के संरक्षण के लिए बनाए गए कानून को लागू कर रहा है। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करना है। आयोग ने कहा कि देश के बहुलतावादी और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र का दर्जा रखने के बावजूद भारत को धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अपराध होने पर न्याय प्रदान करने में लंबा संघर्ष करना पड़ा है, जिससे दंडमुक्ति का माहौल बना।

बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों पर सवाल
अपनी 2014 की वार्षिक रिपोर्ट में अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने कहा है कि चुनाव के समय से ही धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बीजेपी से जुड़े नेताओं ने अपमानजनक टिप्पणियां कीं। आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद जैसे हिन्दू राष्ट्रवादी समूहों ने कई हिंसक हमले और जबरन धर्मांतरण किए। आयोग ने कहा कि दिसंबर, 2014 में उत्तर प्रदेश में ‘घर वापसी’ अभियान के तहत हिन्दू समूहों ने क्रिसमस के दिन कम से कम 4,000 ईसाई परिवारों और 1,000 मुस्लिम परिवारों को जबरन हिन्दू धर्म बनाने की योजना का ऐलान किया था।

रिपोर्ट में गुजरात का ज़िक्र
इस रिपोर्ट में 2014 में गुजरात में नवरात्र के समय बयान देने वाले मेहदी हसन की गिरफ्तारी का भी ज़िक्र है। अमेरिका ने मेहदी हसन की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन माना है। दरअसल मुस्लिम धर्मगुरु मेहदी हसन ने गरबा के खिलाफ बयान दिया था। उनके इस बयान पर विवाद होने पर पुलिस ने मेहदी हसन को गिरफ्तार कर लिया था। गुजरात में कुछ संगठनों द्वारा गैर हिन्दुओं की गरबा में पाबंदी लगाए जाने पर हसन ने विवादित बयान दिया था।

भारत का विरोध
भारत ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा गठित इस आयोग की रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा है कि वह इस तरह की रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लेता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हमारा ध्यान यूएससीआईआरएफ की एक रिपोर्ट की ओर आकर्षित किया गया है, जिसमें भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर फैसला सुनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट भारत, उसके संविधान और उसके समाज के बारे में सीमित समझ पर आधारित लगती है। उन्होंने कहा कि हम रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लेते हैं।