लखनऊ, यूपी
उत्तर प्रदेश में बच्चा चोरी की अफवाह के बाद भीड़ की हिंसा का सिलसिला जारी है। मंगलवार देर रात संभल में बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने एक युवक को पीट-पीटकर मार डाला। वहीं फतेहपुर में बच्चा चोर गिरोह के शक में सैकड़ों ग्रामीणों ने बुधवार को ऐम्बुलेंस को घेरकर पथराव कर दिया। इसमें दरोगा समेत तीन लोग घायल हो गए। वहीं रायबरेली में मोबाइल टावर चेक करने पहुंचे इंजिनियर समेत तीन लोगों को ग्रामीणों ने बच्चा चोर समझकर पीटा।
इन घटनाओं को देखते हुए प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। मुजफ्फरनगर में पुलिस ने अफवाह फैलाने के मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। साथ ही डीजीपी ओपी सिंह ने बच्चा चोरी की अफवाह फैलाकर भीड़ की हिंसा करने वालों पर रासुका लगाने के निर्देश दिए हैं।
एक अगस्त से अब तक मॉब लिंचिंग के 51 मामले
एक अगस्त से अब तक प्रदेश में 51 मामले मॉब लिंचिंग के सामने आए हैं। इनमें से 35 में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। सबसे ज्यादा मामला मेरठ में हुए। यहां बच्चा चोरी की अफवाह में 19 मामले में मॉब लिचिंग हुई। इसके अलावा आगरा में 12, कानपुर में सात, बरेली में चार, लखनऊ व गोरखपुर में दो-दो, संभल, रायबरेली, फतेहपुर, मुजफ्फरनगर व शामली में एक-एक मामला हुआ। इतना ही नहीं अफवाह के बाद हिंसा में 1 की मौत हुई। 35 घायल हुए और 90 गिरफ्तार किए गए।
ऐक्शन में डीजीपी:
—बच्चा चोरी की अफवाह फैलाकर हिंसा करने वालों पर रासुका और 7 सीएलए ऐक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
—इनसे जुड़े मुकदमों में 15 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
—अस्पताल, रेलवे व बस स्टेशन और बड़े बाजार में ग्रुप पेट्रोलिंग।
—सोशल मीडिया पर डीजीपी और जिले के कप्तानों की तरफ से अफवाहों पर विश्वास न करने की अपील।
क्या है रासुका
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देता है। अगर सरकार को लगता कि कोई व्यक्ति उन्हें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों में बाधा बन रहा है तो उसकी गिरफ्तारी हो सकती है। कानून के तहत आरोपी को पहले तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। फिर जरूरत पड़ने पर तीन-तीन महीने के लिए गिरफ्तारी की अवधि बढ़ाई जा सकती है। एक बार में तीन महीने से अधिक की अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती है। अगर पर्याप्त कारण साबित होते हैं तो व्यक्ति को एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।