लखनऊ, यूपी
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ निज़ामुद्दीन ने यूपी सरकार से मांग की है कि मुजफ्फरनगर दंगों पर जस्टिस सहास कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्द ही इस पर फैसला नहीं किया तो उलेमा कौंसिल खामोश नहीं बैठेगी। ये जानकारी यहां एक प्रेस रिलीज में दी गई।
डॉ निज़ामुद्दीन ने कहा कि सपा सरकार ने चुनाव के समय मुसलमानों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण, रंगनाथ मिश्रा और सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का वादा किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद समाजवादी पार्टी ने अपने वादे पूरे न कर जनता को धोखा देने का काम किया है। कानून व्यवस्था और विकास के मामले में सूबे की सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। जिन जगहों पर विकास की जरूरत है, उसे नज़रअंदाज करके कुछ खास इलाकों में विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है।
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डा ० निजामुद्दीन खान ने आरोप लगाया कि आतंकवाद के झूठे आरोप में जेल में बंद निर्दोषों की रिहाई का वादा कर उत्तर प्रदेश की सपा सरकार दरअसल बसपा शासनकाल में अपनी पार्टी नेताओं पर लगे केस हटवाने का काम कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि साल 2012 के चुनाव के समय किया गया एक भी वादा सपा सरकार ने पूरा न कर प्रदेश की जनता को धोखा देने का काम किया है। सपा सरकार में हुए मुस्लिम विरोधी साम्प्रदायिक हिंसा के असली दोषी आजाद घूम रहे हैं, जबकि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवान जेलों में बंद हैं. जिन्हें छोड़ने का वादा सपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किया था पर अब सरकार के साथ-साथ सपा के मुस्लिम मंत्री और विधायक भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। समाजवादी पार्टी मुसलमानों से किए गए वादों से न सिर्फ मुकर गई है, बल्कि उसने मुसलमानों को साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार बनाने वाले हिंदुत्ववादी हत्यारों के खिलाफ़ कोई भी कार्रवाई न करके संघ परिवार के एजेंडे को ही आगे बढ़ाने का काम किया है।
डॉ मिज़ामुद्दीन ने यह भी कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों को आरक्षण देने का वादा किया था लेकिन आरक्षण देने के बजाए बुनकरी जैसे उनके पारम्परिक पेशे को भी तबाह कर उन्हें भुखमरी के कगार पर धकेला जा रहा है। मुसलमानों को समाजवादी पार्टी ने सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है, जिन्हें न तो रोज़गार दिया और ना ही सुरक्षा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि तमाम सरकारों ने मुसलामानों को सिर्फ वोटर ही समझ कर इस्तेमाल किया है।
डॉ निज़ामुद्दीन ने कहा कि आज ज़रूरत नए राजनीतिक विकल्प की है, जो इंसानी ज़रूरतों को पूरा करे। उन्हें धर्म और जाति के नाम पर बांटने के बजाए उन्हें हक़-हुकूक़ लौटाए। सपा सरकार अब भाजपा से मिल कर साम्प्रदायिक कार्ड खेलने की रणनीति पर चल रही है। इसीलिए उसने बिहार में मोदी को जिताने की नाकाम कोशिश की। उन्होंने जनता से सपा और भाजपा के साम्प्रदायिक गठजोड़ से चौकन्ना रहने की सलाह दी उलेमा कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुज़फ्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा की जांच करने वाली जस्टिस सहाय कमीशन की रिपोर्ट को सदन में पेश कर उसे सार्वजनिक करने तथा उसकी रिपोर्ट का आधार पर दोषिओं के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की।