Breaking
14 Mar 2025, Fri

लखनऊ, यूपी

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में कुल 22 मारे गए और 83 लोग घायल हुए। वहीं, हिंसा फैलाने के आरोप में 883 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें से 561 अब जमानत पर हैं और 322 अभी भी जेल में हैं।

प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने 17 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिंसा के दौरान 45 पुलिसकर्मी और अधिकारी भी हुए घायल थे। उन्होंने घायलों की सूची भी प्रस्तुत की। यूपी में पिछले साल 20 और 21 दिसंबर को सीएए विरोधी प्रदर्शन किया गया था।

18 मार्च को होगी अगली सुनवाई अब
कोर्ट ने इस बीच प्रदेश सरकार और याचियों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के साथ पुलिस ज्यादती के मामले में हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर अगली सुनवाई अब 18 मार्च को होगी। राज्य सरकार के वकील ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ के समक्ष हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी।

111 लोगों की जमानत अर्जियां लंबित
मनीष गोयल ने बताया कि घायलों को उपचार उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराई गई। यह कहना गलत है कि एंबुलेंस पर किसी प्रकार की रोक लगाई गई। घायलों को उपचार की पूरी सुविधा दी गई है तथा पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अस्पतालों में जाकर उनका हालचाल भी जाना।

प्रदर्शन के बाद हुई हिंसा के मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ आठ शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनकी जांच की जा रही है। सरकारी वकील की ओर से प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में मारे गए मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एफआईआर की कॉपी अदालत में दाखिल की गई। कोर्ट ने याची को 16 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

एएमयू हिंसा मामले की सुनवाई 25 को
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर 17 फरवरी को सुनवाई टाल दी गई। कोर्ट ने इस मामले में मानवाधिकार आयोग को जांच कर अपनी रिपोर्ट देने को कहा था। आयोग के अधिवक्ता ने बताया कि अभी तक उन्हें आयोग की ओर से कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 25 फरवरी की तारीख नियत कर दी है।

By #AARECH