लखनऊ, यूपी
लखनऊ के राजकीय तकमील उत्तिब कॉलेज एवं चिकित्सालय के विभाग निस्वां व कबालत के रीडर डॉ मनीराम सिंह ने स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष्य में स्तनपान जागरूकता अभियान एवं विभागीय संगोष्ठी का आयोजन किया। जिसमे कॉलेज के छात्र/छात्राओं द्वारा स्तनपान जागरूकता से सम्बंधित पोस्टर एवं स्लोगन प्रस्तुत किया गया।
संगोष्ठी में संबोधित करते हुए डॉ इरफ़ानुद्दीन ने कहा कि माँ का पहला दूध बच्चे को अनेक बीमारियों से बचाता है। देश में प्रतिवर्ष 1 से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है, ताकि स्तनपान को बढ़ावा दिया जा सके और नवजात बच्चों का स्वास्थ्य सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी हो और जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ रहें इसके लिए सरकार जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को जागरुक करना है ताकि वे नवजात शिशु का पालन पोषण सही तरीके से कर सके। इस अवसर पर बीयूएमएस अंतिम वर्ष के छात्र/छात्राओं ने भी स्तनपान जागरूकता सम्बंधित जानकारी दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयोजक डॉ सिंह ने कहा कि मां का पहला गाढ़ा दूध शिशु के लिए अमृत के समान होता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। स्तनपान से शिशु व मां के बीच भावनात्मक लगाव बढ़ता है। बच्चे मां के करीब होते हैं ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि महिलाएं अपने शिशुओं को सही तरीके से स्तनपान कराएं। स्तनपान कराने से जच्चा और बच्चा दोनों को लाभ होता है। उन्होंने कहा कि गांव में जन्म के बाद मां का पहला दूध बच्चों को नहीं पिलाते हैं जो गलत है जन्म के बाद मां का पहला गाढ़ा दूध बच्चों के लिए काफी फायदेमंद है।
उन्होंने कहा कि जन्म के 6 माह तक बच्चों को केवल मां का दूध पिलाएं। 6 माह के बाद पौष्टिक आहार देने से बच्चे का सर्वांगीण विकास होता है और शिशु कुपोषण से बचता हैं। डॉ सिंह ने बताया कि शिशुओं के माताओं को एक बार में एक तरफ का ही स्तनपान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिन माताओं के स्तनों में पर्याप्त दूध नहीं बन पाता उनको सतावर व सौंफ की बराबर मात्र लेकर दो-दो चम्मच सुबह शाम दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। इसके अतिरिक्त चिकित्सालय परिसर में भी मरीजों को स्तनपान लाभ सम्बन्धी जानकारी दी गई।
प्रधानाचार्य एवं प्रो जमाल अख्तर ने निस्वां व कबालत विभाग द्वारा किये गए स्तनपान जागरूकता अभियान कार्यक्रम एवं संगोष्ठी की सराहना की। इस अवसर पर शम्सुल्हुदा, जावेद, लाल बिहारी, एहसान, कामरान, आज़म अय्यूब, अनीस अहमद, हयात मुहम्मद, सद्दाम, मोहम्मद हुसैन, अशरफ, नईम, दानिश, अर्श, तसनीम कौसर एवं रुश्दा आदि ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
विश्व स्तनपान सप्ताह के उद्देश इस प्रकार हैं
- माता-पिता में स्तनपान को लेकर जागरूकता पैदा करना।
- माता-पिता को स्तनपाल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- शुरुआत एवं अनन्य स्तनपान के महत्व को लेकर जागरुकता पैदा करना और पर्याप्त एवं उचित पूरक आहार।
- स्तनपान के महत्व से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराना।
स्तनपान महत्वपूर्ण है क्योंकिः
- यह मां और बच्चे दोनों के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
- यह प्रारंभिक अवस्था में दस्त और तीव्र श्वसन संक्रमण जैसे संक्रमणों को रोकता है और इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आती है।
- यह मां में स्तन कैंसर, अंडाशय के कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग विकसित होने के खतरे को कम करता है।
- यह नवजात को मोटापे से संबंधित रोगों, डायबिटीज से बचाता है और आईक्यू बढ़ाता है।
शिशु और छोटे बच्चे को दूध पिलाने के सही तरीके:
- जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत।
- जन्म के बाद पहले छह महीने तक अनन्य स्तनपान। अन्य प्रकार के दूध, आहार, पेय अथवा पानी को ‘ना’।
- स्तनपान को जारी रखते हुए छह महीने की आयु से उचित और पर्याप्त पूरक आहार।
- दो वर्ष की आयु अथवा इसके बाद तक निरंतर स्तनपान।