लखनऊ, यूपी
सीएम अखिलेश यादव से आज उलमा-ए-कराम के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। उलेमाओं ने मुसलमानों की एजुकेशन और सोशल स्टेटस की मांगो को पूरी किए जाने के लिए शुक्रिया अदा किया। उलेमाओं ने उम्मीद जताई कि अखिलेश की अगुवाई में दोबारा नई सरकार बनेगी। उन्होंने सेक्यूलर वोट के बंटवारे की साजिशों के प्रति मुसलमानों को सावधान किया है।
कौन हुआ शामिल
प्रतिनिधिमंडल में प्रधानाचार्य दारूल उलूम नदवतुल उलमा मौलाना डा. सइदुर्रहमान आज़मी नदवी, लखनऊ इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फंरगी महली, मौलाना शाह फख्रूद्दीन अशरफ कछौछवी कछौछा शरीफ, मौलाना अब्दुल्लाह इब्नुल कमर देवबंद, शेख राशिद अली मीनाई सज्जादा नशीन दरगाह शाह मीना शाह, मौलाना इकबाल कादिरी, मौलाना इदरीस बस्तवी दारूल उलूम नदवतुल उलमा, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी, प्रधानाचार्य दारूल उलूम फरंगी महल, शाह अनवर रहमान जिलानी सफवी सज्जादा नसीन आसीवन, शाह नजमुल हसन उर्फ शुएब मियां सज्जादा नशीन खैराबाद, मुफ्ती अबुल वातिन नोमानी इमाम ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी, मौलाना हारून नदवी, मौलाना अब्दुल्लाह नदवी, शामिल थे।
किसने कराई मुलाकात
इस मुलाकात में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री शकील खान और राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष मोहम्मद यामीन शामिल थे। दोनों मंत्री पिछले कई दिनों से कोशिश में थे कि उलेमाओं की ये मुलाकात कराई जाए। दरअसल पिछले कई दिनों से जब कई उलेमाओं ने बीएसपी का समर्थन किया है। ऐसे में सपा की तरफ से ये उम्मीद जताई जा रही थी कि जल्द ही कुल उलेमा सपा का समर्थन कर सकते हैं। आज राहुल-अखिलेश की प्रेस कांफ्रेंस के बाद ये मुलाकात कराई गई
उलमाओं ने क्या कहा
उलमा-ए-कराम ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में सीएम ने मुसलमानों के हित में तमाम फैसले लिए हैं। मुसलमानों की रोजी-रोटी, सम्मान और सुरक्षा के विशेष कदम उठाए हैं। मुस्लिमों के हित में कई योजनाएं लागू की गई है। उलमा-ए-कराम ने कहा है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी पसंद का वोट देने का हक है लेकिन कुछ लोग धर्म के आधार पर वोट की अपील करने लगते हैं। ये वही लोग है जो अपनी सुविधा के लिए विभिन्न पार्टियों के पक्ष में अपीलें जारी करते रहते हैं। उनकी ये अपीलें सेक्यूलर वोट बांटने का नाकाम प्रयास हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि सेक्यूलर वोट का विभाजन न हो।
सपा ने किया काम
सपा सरकार ने 150 मदरसों को वर्तमान में ग्रांट लिस्ट पर लिया गया। उर्दू को रोजी रोटी से जोड़ने का अपना वादा पूरा करते हुए 12 हजार उर्दू शिक्षकों को सरकारी नौकरियां दी। यूनानी डाक्टर्स को मार्डेन मेडिसिन प्रयोग करने का कानूनी अधिकार दिया, जिसमें कि 90 प्रतिशत मुस्लिम डाक्टर्स हैं। रामपुर में मशहूर स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मुहम्मद अली जौहर के नाम से विशाल विश्वविद्यालय स्थापित किया और अल्पसंख्यक घोषित करके मुसलमानों के शैक्षिक भविष्य को रौशन करने की कामयाब कोशिश की।
आजादी के बाद से पहली बार यूपी में दो डीजीपी मुसलमान बनाये गए। चीफ सेक्रेट्री के उच्च पद पर मुसलमान अफसर को नियुक्त किया। पहली बार बड़ी संख्या में मुस्लिम अफसरों को डीएम, एएसपी, एसपी की ज़िम्मेदारी दी गयी। दो मुस्लिम अधिवक्ता को प्रदेश का एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाया गया। यूपी में पहली बार दो मुसलमानों की नियुक्ति इनफार्मेशन जैसे उच्च पद पर की गयी।
समाजवादी सरकार ने अल्पसंख्यक विभाग के बजट में कई गुना वृद्धि की। मुस्लिम कब्रिस्तानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए 18 हजार कब्रिस्तानों की बाउण्ड्री वाल 13 सौ करोड़ की लागत से बनवाया गया। हाजियों की सहूलियत के लिए पिछली सरकार में लखनऊ में और इस बार गाजियाबाद में खूबसूरत हज हाउस बनाया गया। 11 लाख 52 हजार मुस्लिम महिलाओं को समाजवादी पेंशन दी गई। शहरों में नए इलाकों के साथ-साथ गलियां भी बडे पैमाने पर बनवायी गयीं।
ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के उर्स के अवसर पर सरकारी छुट्टी की घोषणा की गयी। आजादी के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर दंगा पीडितों को मुआवजा दिया गया। आजादी के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मुसलमानों को मंत्री व प्रदेश मंत्री और विभिन्न विभागों का चेयरमैन बनाया गया।