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22 Nov 2024, Fri

लखनऊ, यूपी

यूपी चुनाव में तेज़ी से बदलते घटनाक्रम में आज बड़ा उलटफेर हुआ। पूर्वांचल की राजनीति में लगातार अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाने वाली राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने बिना शर्त बीएसपी को समर्थन दे दिया। उलेमा कौंसिल के इस रुख से आज़मगढ़, जौनपुर समेत कई ज़िलों की तकरीबन एक दर्जन सीटों पर बीएसपी को फायदा मिल सकता है। दूसरी तरफ पूर्वांचल में 2012 में क्लीन स्वीप करने वाली सपा को नुकसान हो सकता है।

उलेमा कौंसिल की तरफ ये एलान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने किया। इस मौके पर बीएसपी के महासचिव और पार्टी के मुस्लिम चेहरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी मौजूद थे। राजधानी लखनऊ के एक होटल में उलेमा कौंसिल की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। मीडिया की भारी मौजूदगी में मौलाना आमिर रशादी ने समर्थन का एलान किया।

मालूम को हिक बीएसपी के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और मौलाना आमिर रशादी की बातचीत पिछले एक हफ्ते से चल रही थी। बीएसपी मुखिया मायावती से मौलाना रशादी से मुलाकात के बाद मुद्दों पर सहमति बनी और उसके बाद उलेमा कौंसिल ने अपना स्ट्रेटिजिक समर्थन बीएसपी को दिया है। ये बात नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पत्रकारों से कही।

प्रेस कांफ्रेंस में मौलाना आमिर रशादी ने कहा कि समर्थन के बाद इस बार चुनाव में उनकी पार्टी एक भी सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी ने 84 लोगों को टिकट दिया था लेकिन अब वो चुनाव नहीं लड़ेंगे और अपना समर्थन बीएसपी को देंगे। उन्होंने कहा कि वह चुनाव में मुसलमानों, दलितों और शोषितों के वोटों को बिखराव से बचाना चाहतें हैं।

सपा सरकार पर निशाना
मौलाना रशादी ने कहा कि पांच साल में सपा सरकार ने मुसलमानों का सबसे ज़्यादा नुकसान किया है। उन्होंने कहा कि सपा और बीजेपी ने मिलकर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया है। अखिलेश सरकार में गुंडाराज, दंगाराज और परिवारवाद ही हावी है। प्रदेश की कानून व्यवस्था चौपट हो गई है। अखिलेश सरकार में सबसे ज़्यादा दंगे हुए हैं, और वह बीजेपी से मिली हुई है। इसलिए सूबे में फासिस्ट ताक़तों को रोकने और परिवारवाद को ख़त्म करने के लिए एक साथ आये हैं।

दलित-मुस्लिम गठजोड़
मौलाना रशादी ने कहा कि फासिस्ट ताकतों को रोकने के लिए दलित-मुस्लिम गठबंधन नेचूरल है। यही गठबंधन देश प्रदेश को नई दिशा दे सकता है। उन्होंने कहा कि मंडल कमीशन लागू होने के बाद जब सपा-बीएसपी की पहली बार सरकार बनी तो मुलयाम सिंह से सीएम रहते मुसलमानों को ओबीसी का सर्टिफिकेट नहीं मिला रहा था। जब मायावती सीएम बनी तो उन्होंने मुसलमानों का ओबीसी का सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया था। ऐसे कई काम हैं जो मायावती की सरकार ने मुसलमानों के लिए किए।

बीएसपी को कहां होगा फायदा
उलेमा कौंसिल का जनाधार पूर्वांचल के आज़मगढ, जौनपुर और आसपास के ज़िलों में है। ये सच है कि उलेमा कौंसिल ने विधान सभा चुनाव में कोई जीत हासिल नहीं की लेकिन विधान सभा की कई सीटों पर उसके वोट जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बीएसपी को इन सीटों पर फायदा होने की उम्मीद है। दूसरी तरफ कौंसिल ने गठबंधन में सीटें न लेकर आगे के लिए बड़े रास्ते बनाने की उम्मीद में है।