पंचायत चुनाव में जालौन और सहारनपुर से 1-1 सीट पर जीते
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आज़मगढ़, यूपी
यूपी में पंचायत चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के नेता हैरान हैं। उलेमा कौंसिल को आज़मगढ़, जौनपुर समेत पुर्वांचल के ज़िलों में सफलता नहीं मिली है। पार्टी के नेताओं को सबसे ज़्यादा हैरानी अपने गढ़ आज़मगढ़ को लेकर है, जहां उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी इस बार बेहतर प्रदर्शन करेगी। वैसे यहां पर पार्टी के कई उम्मीदवार मुख्य लड़ाई में थे लेकिन जीत हासिल न कर सके। हालांकि पार्टी ने जालौन के बबीना और सहारनपुर की एक-एक सीट पर जीत हासिल करके उम्मीद को बरकरार रखा है।
उलेमा कौंसिल ने पंचायत चुनाव से पहले आज़मगढ़ और जौनपुर में कई रैलियां की थी। ये रैलियां यूपी इत्तेहाद फ्रंट के बैनर तले की गई थी। उलेमा कौंसिल की इन रैलियों में अच्छी खासी भीड़ भी इकट्ठा हुई थी। उसके बाद पार्टी से टिकट मांगने वालों की संख्या काफी बढ़ गई थी। पार्टी नेताओं को यकीन था कि वह इस बार अच्छा प्रदर्शन करेगी। पार्टी ने आज़मगढ़ से 32, जौनपुर से 7, चंदौली से 2, अलीगढ़, जालौन, और सहारनपुर से एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा था।
उलेमा कौंसिल के नेताओं में इन उम्मीदवारों के पक्ष में कई रैलियां की। पार्टी कुछ सीटों पर अपनी दावेदारी मान कर चल रही थी। पंचायत चुनाव के नतीजे आने के बाद पार्टी को आज़मगढ़, जौनपुर में जीत हासिल नहीं हुई।
पार्टी के युवा नेता तलहा रशादी ने पीएनएस से बात करते हुए कहा कि वह नतीजों से निराश ज़रूर हैं पर उनका संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी को उम्मीद थी कि आज़मगढ़ में 8 से 10 सीटें जीत सकती है लेकिन नतीजे उनके पक्ष में नही आए। तलहा रशादी ने कहा कि इन नतीजों से हमारे इरादे में कोई तब्दीली नहीं आई है, और हम जनता के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
जीत न मिले की वजह पूछने पर तलहा रशादी ने कहा कि मौजूदा समय में चुनाव में बाकी पार्टियां सभी तरह के हथकंडे अपना रही हैं। तरह-तरह के प्रलोभन और पैसे बांटे जाते हैं। हम राजनीति में एक बदलाव के लिए आएं हैं, हम उससे नहीं हटेंगे।
तलहा रशादी ने कहा कि हम जीत न मिलने की ज़िलेवार समीक्षा करेंगे। कार्यकर्ताओं से बात करके आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि यहां के लोग हमारे संघर्ष के बारे में बात करते हैं। ज़रूरत पड़ने पर हमें बुलाते हैं लेकिन मठाधीशें के बहकावे में आकर वह चुनाव में हमें वोट नहीं कर पाते। हम यहीं हालात बदलने आएं हैं। हम लोगों को ज़ेहनी गुलामी से आज़ाद करा कर ही दम लेगें।
तलहा रशादी ने ये भी कहा कि जीत न मिलने की एक वजह ये भी है कि हमें राजनिति का ज़्यादा अनुभव नहीं हैं। हमारे बड़े नेताओं का राजनीतिक इतिहास नहीं है। वह आम लोगों के बीच के हैं। तलहा रशादी ने उम्मीद जताई कि वक्त ज़रूर बदलेगा और लोग हमारे संघर्ष को याद करते हुए हमें जीत से नवाज़ेंगे।