आज़मगढ़, यूपी
ज़िले के संजरपुर गांव के दो लोग कोर्ट के वापस घर नहीं लौटे हैं। उनका मोबाइल बंद है। परिवार वालों ने एसओजी द्वारा उठाये जाने के बाद फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की आशंका जताई है। इस मामले में परिवार वालों ने प्रदेश के उच्च अधिकारियों को फैक्ससे इसकी जानकारी दे दी है। रिहाई मंच ने इस मामले में पुलिस के आलाधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है।
ज़िले के संजरपुर गांव के रहने वाले नज़रे आलम ने बताया कि उसका भाई आफताब आलम पुत्र शमशुद्दीन आज शुक्रवार को सुबह कचहरी तारीख पर गया था। उसके साथ मोनू भी गया था। दोपहर बाद से आफताब का मोबाइल बंद आ रहा है। किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनज़र जब उसके वकील से बात की गई तो पता चला कि वह कचेहरी से करीब 1 बजे दिन में ही जा चुका है। उसके बाद उसका पता नहीं चल रहा है।
नज़रे आलम का कहना है कि उन्हें इस बात का डर है कि कहीं उनके भाई को फर्ज़ी मुठभेड़ में न मार दिया जाय। इस मामले में उन्होंने डीआईजी, एसपी व अन्य को फ़ैक्स कर दिया है। नज़रे आलम के बताया कि ठीक इसी तरह ड़ेढ साल पहले भी पुलिस ने आफताब को उठा ले गई थी। इसके बाद एक फर्ज़ी मुठभेड़ में उसके पैर में गोली मार दी थी और उसकी गिरफ्तारी दिखाई थी। इस लिए परिवार वाले काफी डरे हुए हैं।
रिहाई मंच के राजीव यादव ने बताया कि आज़मगढ़ में पहले भी कई फर्ज़ी इनकाउंटर हुए हैं। इसलिए आसंका है कि कहीं पुलिस गुडवर्क करने के फिराक में तो नहीं है। आज़मगढ़ में हुए कई इनकाउंटर सवालों के घेरे में हैं। इस मामले में मनवाधिकार आयोग जांच कर रहा है और संबंधित पक्षों को नेटिस देकर जवाब मांगा है। आज़मगढ़ मुठभेड़ में मारे गए एक व्यक्ति के परिवारजनों में लखनऊ में घरना भी दिया था और उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।