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23 Dec 2024, Mon

अब खाने को नहीं मिलेगा टुंडे कबाबी और रहीम की नहारी!

मोहम्मद ज़कारिया

लखनऊ, यूपी
यूं तो राजधानी लखनऊ को एक ज़िंदा दिल शहर है। यहां की तहज़ीब हर किसी को इस शहर की तरफ खींचती है… पर यहां खाने का स्वाद लोगों को न सिर्फ हर शहर से बल्कि विदेशों से खींच लाता है। फिलहाल यहां को होटलों में उदासी छाई है और पुराने लखनऊ में शाम को गुलज़ार रहने वाले बाज़ार और खाने के होटलों पर अब वो भीड़ नहीं है। हर किसी की ज़बान पर एक सवाल है कि क्या सरकार लखनऊ के स्वाद पर ताला लगा देगी।

सैकड़ों टुरिस्ट जो इस समय राजधानी लखनऊ में मौजूद हैं… क्या उन्होंने सोचा होगा कि मशहूर नवाबों की पसन्दीदा कबाब… यानी लखनऊ के टूण्डे कबाबी को खान  के लिए वह शहर में आएं हैं, उसका स्वाद उन्हें नहीं मिल पाएगा। शाम ढलते-ढलते टुंडे कबाबी की दुकान का शटर ही गिर जाता है।

आखिर क्यों… नवाबों के खानदान को अपनी लज्ज़त कबाब परोसने वाली हाजी मुराद अली की पीढ़ी आज अपनी दुकान सिर्फ इसलिए बन्द करने पर मजबूर हो गई कि राजधानी समेत पूरे प्रदेश में अवैध स्लाटर हाउस को सीएम योगी ने बन्द करवा दिया है। लखनऊ में बीफ सप्लाई का सबसे बड़ा गढ़ माना जाने वाला इलाका बिलोचपूरा की 50 दुकानों में जुमेरात को बीफ की सप्लाई बन्द होने से सन्नाटा पसरा रहा।

पीएनएस संवाददाता ने अवैध स्लाटर हाउस के बन्द किये जाने के बाद उभरे हालात का जायज़ा लिया। दुकानदारों की मायूसी का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता था कि पीएनएस संवाददाता को अपने बीच देख उन्हें ऐसा लगने लगा कि अब उनकी आवाज़ सरकार तक पहुंच जाएगी। दुकानदार परेशानी के हालात बयान कर रहे हैं और उन्हें कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।

दुकानदारों की संस्था जमीतुल कुरैश के महासचिव शहाबुद्दीन कुरैशी काफी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि आज हम लोग जो कुछ भी झेल रहे हैं वह सपा सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे आज़म खान की लापरवाही का नतीजा है। शाहाबुद्दीन ने कहा कि 2014 में उनका एक प्रतिनिधि मण्डल तत्कालीन शहरी विकास मंत्री आज़म खान से लखनऊ के स्लाटर हाउस के आधुनिकीकरण और स्लाटर हाउस से माल लाने वाले कसाईयों के लाइसेंस को रिन्यू करने का प्रस्ताव दिया था। शहाबुद्दीन ने बताया कि आजम खान और सपा सरकार की हीलाहवाली के कारण ही आज शहर के 200 से ढाई सौ दुकानें बन्द हो चुकी हैं।

शहाबुद्दीन ने कहा कि एनसीआर में एनजीटी के सख्त निर्देश के कारण अवैध स्लाटर हाउस बन्द करने का हमने पहले भी स्वागत किया था और योगी सरकार ने जिस प्रकार से कार्रवाई कर अवैध स्लाटर हाउस को बन्द किया है हम इसका स्वागत तो करते हैं लेकिन कम से कम सरकार कोई प्रस्ताव तो लेकर आए कि हमें अब आगे क्या करना चाहिए। क्या हमारा लाइसेंस रिन्यू होगा? यदि होगा तो कब तक ओर कितना समय लगेगा? ऐसे कई सवाल इनके अन्दर उठने लगे हैं। हमारे पास तो कोई रास्ता ही नहीं बचा है।

मार्डन स्लाटर हाउस की लागत 12.50 करोड़
शहाबुद्दीन ने बताया कि मोतीझील स्लाटर हाउस के आधुनिकीकरण का प्रस्ताव खुद नगर निगम ने इसी साल 3 जनवरी को पारित किया था। इसे 18 महीने में पूरा किया जाना था लेकिन 4 जनवरी को प्रदेश में आचार संहिता लग जाने के कारण यह काम रोक दिया गया। अब हालात यह है कि इस धन्धे से केवल हम दुकानदार ही नहीं बल्कि इस काम से जुड़े हज़ारों लोग बेरोजगारी की कगार पर आ खड़े हुए हैं। शहाबुद्दीन सवाल उठाते हैं कि क्या सबका साथ सबका विकास में हम हिस्सेदार नहीं हैं, और हमारा ही पतन क्यों? हमारा भी विकास होना चाहिए क्योंकि हम भी सवा सौ करोड़ लोगों में शामिल हैं। हमारे इस कारोबार से हज़ारों लोगों का रोजगार जुड़ा है।

टूण्डे कबाबी में अब चिकन कबाब
अपने कबाब के लिए पूरी दुनिया में मशहूर और फिल्मी सितारों के राजधानी लखनऊ आने पर उनकी पहली पसन्द टूण्डे कबाबी की दुकान में अब वो लज्जत नहीं मिल सकेगी। दरअसल राजधानी के साथ-साथ पूरे प्रदेश में स्लाटर हाउस के बन्द किये जाने के कारण टूण्डे कबाबी ने बीफ की जगह चिकन कबाब देना शुरू कर दिया है। टुंडे कबाबी के मालिकों का कहना है कि उनके पास इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

सीतापुर से आये मनोज का कहना है कि वह जब भी लखनऊ आते हैं तो टुंडे कबाबी खाये बगैर यहां से नहीं जाते। इस बार जब वो दुकान पर पहुंचे तो आज पता लगा कि यहां अब चिकन कबाब मिल रहा है। उन्हें मायूसी हुई। नज़ीराबाद में टूण्डे कबाबी के मालिक मो उस्मान का यह मानना है कि बिक्री में तो फर्क आया है लेकिन अवैध स्लाटर हाउस बन्द किये जाने से वह सहमत हैं। मो. उस्मान का मानना है कि सरकार सबका साथ सबका विकास का नारा लगा रही है तो हमें भी थोड़ा सा इन्तजार करना चाहिए और सरकार को कोई रास्ता निकालना चाहिए।

कैसे मिलेगा रहीम की नहारी का स्वाद
मशहूर दुकान रहीम की नहारी जहां केवल बीफ से बनी नहारी ही मिला करती थी। वहां अब बीफ की नहारी बंद हैं। मालिक रास्ता तलाश कर रहे हैं और अब वहां बकरे की नहारी मिल रही है। रहीम नहारी के मालिक मोहम्मद शोएब ने बताया कि ग्राहकों की भारी कमी हो गई है। काम की कमी होने से रोज़ की कमाई में बहुत बड़ा फर्क आया है। ऐसे ही चलता रहा तो काम करने वाले लोगों को निकालना पड़ेगा।