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17 Oct 2024, Thu

तीन तलाक पर ना बोले शिया संगठन: मौलाना कल्बे जव्वाद

लखनऊ, यूपी

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने तीन तलाक मसले पर सरकारी दखल के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। इसके साथ ही मौलाना जव्वाद ने शिया संगठनों की तरफ से तीन तलाक पर पाबंदी की मांग पर ऐतराज़ जताया है। मौलाना जव्वाद ने कहा है कि शिया संगठन अपने मसले पर ही बात करें वो दूसरे मसलक में हस्तक्षेप न करें। मौलाना जव्वाद ने मजलिस उलेमा-ए-हिन्द की कार्यकारिणी की बैठक में ये बातें कही।

मजलिस की बैठक शियों की समस्याओं और मौलिक अधिकारों की मांग के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के मुसलमानों के धार्मिक मुद्दों में दखल दिये जाने और गौरक्षा के नाम पर तथाकथित संगठनों की गुंडागर्दी और बाबरी मस्जिद मामले के हल के लिए मजलिसे उलेमाए हिन्द की कार्यकारिणी की बैठक हुई। ये बैठक लखनऊ के इमामबाड़ा में हुई।

मौलाना कल्बे जव्वाद ने बैठक में कहा कि तीन तलाक का मामला मुस्लिमों के एक मसलक का है। इसलिए इसमें किसी भी दूसरे मसलक, संगठन या बोर्ड को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। मौलाना जव्वाद ने कहा कि शिया संगठन इन समस्याओं में बेवजह हस्तक्षेप करके हालात को और खराब ना करें। उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक हित साधने के लिए लिए किसी दूसरे मसलक या घर्म के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करना माहौल खराब करने की कोशिश है। दरअसल हाल ही में शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक पर पाबंदी की मांग की थी।

बैठक के दौरान गौरक्षा के नाम पर तथाकथित संगठनों की गुंडागर्दी की निंदा की गई। इस दौरान मौजूद उलेमा ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाये, जो गाय रक्षा के नाम पर इंसानों का अंधाधुंध खून बहा रहे हैं। ये लोग खुलेआम गुंडागर्दी को बढ़ावा दे रहे हैं। उलेमा ने कहा कि इस्लाम किसी भी धर्म के पवित्र चीजों के अपमान की अनुमति नहीं देता है।

बैठक में मौजूद उलेमा ने बाबरी मस्जिद मामले के निपटारे पर बात करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद मुद्दे का हल अगर बातचीत के जरिए हो तो अच्छा है और अगर बातचीत के जरिए समस्या का निपटारा संभव नहीं है तो अंतिम रास्ता सुप्रीम कोर्ट है। सभी मुसलमान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करेंगे।

बैठक में मौलाना हुसैन मेहंदी हुसैनी (मुंबई), मौलाना मोहसिन तकवी (दिल्ली), मौलाना नईम अब्बास (अमरौहा), मौलाना मो. रजा गरवी (गुजरात), मौलाना गुलाम मुहम्मद मेहंदी खान (चेन्नई), मौलाना मीर अजहर अली (बैगंलुरू), मौलाना करामत हुसैन जाफरी (महाराष्ट्र), मौलाना आगा सैयद हसन मूसवी (श्रीनगर), मौलाना सैयद मो. हुसैन लुत्फी कारगिल, मौलाना सफदर हुसैन ()(जौनपुर), मौलाना अतहर अब्बास (कोलकाता), मौलाना तसनीम मेहंदी और मौलाना शबाहत हुसैन ने कार्यकारिणी बैठक में भाग लिया।