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22 Dec 2024, Sun

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 30 पैसे की गिरावट, 74.09 के स्तर पर बंद

THE RUPEE HAS LOST 30 PAISE AGAINST THE US DOLLAR CLOSED AT 74.09 1 120320

नई​ दिल्ली

वैश्विक बाजार में भारी बिकवाली, कच्चे तेल के दाम में गिरावट और कोरोना वायरस आपदा ने भारतीय करंसी रुपये की कमर तोड़ कर रख दी है। गुरुवार और शुक्रवार के बाद आज सोमवार को भी डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की जा रही है। यही कारण है कि ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में रुपये को सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई करंसी करार दिया है।

कैसी रही आज रुपये की चाल?
डॉलर के मुकाबले रुपया आज 30 पैसे टूटकर 74.09 के स्तर पर बंद हुआ है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 24 पैसे की कमजोरी के साथ 74.03 के स्तर पर खुला था। वहीं, पिछले कारोबारी दिन डॉलर के मुकाबले रुपया 73.79 के स्तर पर बंद हुआ था।

सता रहा मंदी का डर
घरेलू इक्विटी मार्केट में बड़ी गिरावट और कोरोना वायरस आपदा की वजह से अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आशंका को देखते हुए फॉरेक्स मार्केट में रुपये की शुरुआत 73.99 के स्तर पर हुई। इसके बाद 16 पैसे ​की गिरावट के साथ यह 74.03 के स्तर पर फिसल गया। हालांकि, विदेशी बाजारों में अमेरिकन करंसी में कमजोरी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से रुपये में हल्का सपोर्ट देखने को मिला, लेकिन ट्रेडर्स का मानना है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का डर भारतीय रुपये की हालत और भी पस्त कर सकता है।

पहले ही बाजार में लिक्विडिटीक की कमी

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रुपये पर लगाम लगाने के लिए बाजार में उपलब्धता को टाइट करने का फैसला देश के कुछ बड़े उधारकर्ताओं के मुनाफे पर असर डालेगा। इस साल भारतीय रुपया एशियाई बाजार में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करंसी बन गई है।

रेटिंग एजेंसी इकरा लिमिटेड के (ICRA) कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा, ‘सिस्टम में लिक्विडिटी पहले से ही टाइट है और यह RBI द्वारा रुपये में मजबूती लाने का प्रयास बैंकों पर दबाव डाल सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘बैंकों के मुनाफे पर असर होगा और उधारकर्ताओं को डिपॉजिट्स और कर्ज से होने वाली कमाई प्रभावित होगी।’

हमारी जेब पर क्या असर पड़ेगा
दो चीजें एक साथ हो रही हैं। एक तो रुपये का मूल्य गिर रहा है। देशों से आने वाले सामानों के लिए ज्यादा दाम चुकाने होंगे। अगर यही हालत बनी रही तो आने वाले समय में हमारी जेबों पर जबरदस्त दबाव पड़ने वाला है।

डॉलर की कीमत बढ़ने पर महंगाई कितनी बढती है
एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है। इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है। पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है। इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है।

हालांकि वर्तमान में, घरेलू बाजार में पेट्रोल का दाम बीते 9 महीने के न्यूनतम स्तर पर है। घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट रही है।

By #AARECH