सहारनपुर, यूपी
सरजमीन-ए-आलम की सबसे मुकद्दस शहर मक्का के काबा शरीफ के इमाम दारुल उलूम देवबंद पहंचे। डॉ. सालेह बिन मोहम्मद बिन इब्राहीम अल तालिब के देवबंद पहुंचने पर उनका गर्मजोशी से इस्तकबाल किया गया। इमाम-ए-काबा यहां होलीकाफ्टर से पहुंचे। इस मौके पर कई उलेमा-ए-कराम मौजूद थे।
देवबंद में इमाम-ए-काबा ने इस्लाम को पूरी दुनिया के लिए अमन का पैगाम बताया। उन्होंने कहा कि दहशतगर्दी का इस्लाम से कोई संबंध नहीं हो सकता। एक साजिश के तहत इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने दारुल उलूम और देवबंदी उलेमा को अदल पसंद करार दिया। इमाम-ए-काबा ने मदरसा छात्रों से अकाबिरों के नक्शे कदम पर चलने का आह्वान किया।
डॉ. सालेह बिन मोहम्मद बिन इब्राहीम अल तालिब ने अपना पूरा संबोधन अरबी ज़बान में दिया। इसके बाद इसे उर्दू और हिंदी में अनुवाद किया जा रहा था। भारत माता की जय बोलने संबंधी विवाद पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। इमाम-ए-काबा मीडिया से पूरी तरह से दूर ही रहे।
उन्होंने कहा कि अरब की सरजमीन से हिंदुस्तान के लिए अमन का पैगाम लेकर आया हूं। दहशतगर्दी दुनिया की शांति के लिए नासूर है। इसके खिलाफ सभी मुल्कों को एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
इमाम-ए-काबा ने कहा कि दहशतगर्दी करने वाला कभी मुसलमान नहीं हो सकता। मदरसों में रहकर इस्लाम की तालीम लेने वालों की ज़िम्मेदारी है कि वह इस्लाम के प्रचार प्रसार में अपनी अहम भूमिका निभाएं।
डॉ. सालेह बिन मोहम्मद बिन इब्राहीम अल तालिब ने कहा कि अल्लाह ताला ने दारुल उलूम और देवबंदी उलेमा को दुनिया में खास मुकाम बख्शा है और उन्हें पूरी दुनिया में इज़्ज़त से देखा जाता है।
इमाम-ए-काबा डॉ. सालेह बिन मोहम्मद बिन इब्राहीम अल तालिब ने कहा कि दारुल उलूम और देवबंदी उलेमा ने हमेशा कुरआन और सुन्नत के पैगाम को आम करने का काम किया है। जब-जब दुनिया में इस्लाम विरोधी ताकतों ने सर उठाया है तब-तब दारुल उलूम और यहां के उलेमा ने उसका डट कर मुकाबला किया।