बीजेपी की सारी रणनीति फेल हो गई और दिल्ली की जनता ने धार्मिक उन्माद को नकारते हुए केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत से तीसरी बार सत्ता की चाभी सौंप दी है। कभी ‘आप’ से विधायक रहे भाजपा के बहुचर्चित प्रत्याशी कपिल मिश्र को भी इसबार जनता ने करारी हार का स्वाद चखाया है। कपिल मिश्र को अखिलेश पति त्रिपाठी ने हराया है। इस जीत के साथ अखिलेश पति ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधायकी की हैट्रिक भी लगा ली है।
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अखिलेश पति त्रिपाठी मूल रुप से यूपी के रहने वाले हैं। उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर के मेंहदावल के रहने वाले अखिलेश पति त्रिपाठी शिक्षक अभयपति त्रिपाठी के सुपुत्र हैं। प्राथमिक शिक्षा संतकबीरनगर में ही पूरी करने वाले अखिलेश ने स्नातक इलाहाबाद से करने के बाद डाॅ राममनोहर लोहिया विवि फैजाबाद से इतिहास विषय में परास्नातक किया।
आईएएस का सपना आंखों में संजो दिल्ली गए थे
हर मध्यमवर्गीय परिवार की तरह शिक्षक पुत्र अखिलेश पति त्रिपाठी आईएएस बनने का सपना लेकर दिल्ली तैयारी के लिए 2009 में गए। प्रारंभिक व मेन्स परीक्षा को पास करने वाले अखिलेश इंटरव्यू क्लियर नहीं कर सके। इसी बीच अन्ना आंदोलन से जुड़े। शायद किस्मत को कुछ और पसंद था। अन्ना आंदोलन में काफी सक्रिय रहे अखिलेश पति त्रिपाठी भी आम आदमी पार्टी बनने के बाद राजनीति को बदलने निकले।
आप ने उनको 2013 में माॅडल टाउन विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा और वह पहली बार विधायक बने। वह इस सीट से लगातार विधायक चुने जाने वाले कांग्रेस के कुंवर करण सिंह को काफी अंतर से पराजित किए। इस दौरान वह जनहित के मुद्दों को लेकर लगातार सक्रिय रहे। कई बार विवादों में भी घिरे, जेल भी गए। आंदोलन के दौरान एक युवती के रेप-मर्डर का भी आरोप लगा, जेल गए लेकिन 12 दिनों में ही छूट गए।
2015 में दुबारा आप की टिकट पर विधानसभा पहुंचे। इस बार आम आदमी पार्टी ने तीसरी बार उनको मैदान में उतारा। आप के बागी विधायक कपिल मिश्र को माॅडल टाउन से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। कपिल पूरे चुनाव में अपने विवादित बयानों को लेकर चुनाव मैदान में जमे रहे लेकिन दिल्ली ने विवादों को दरकिनारकर संतकबीर के रास्ते को चुना और एक बार फिर अखिलेश पति को विधायक बना दिया।