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21 Nov 2024, Thu

डॉ अशफाक अहमद

अम्मान, जार्डन

कहते हैं कि तस्वीर खुद ही बोलती है या फिर एक तस्वीर हज़ारों शब्द बयान करती है। पर ये तस्वीर तो चिल्ला रही है। ये तस्वीर दर्द के ऐसे शब्द बयान कर रही है जो दुनिया के किसी भी डिक्शनरी में मौजूद नहीं है। सोचिए… जंग से जूझते एक मुल्क से ये बच्चा अकेले हज़ारों मील रेगिस्तान को चीरता हुआ दूसरे देश पहुंच गया। ये कहानी कहां से लिखी जाए, कैसे लिखी जाए और लिखते वक्त अपने दिल में हो रहे दर्द को कैसे बर्दाश्त किया जाए।

‘मरवान’… उम्र सिर्फ 4 साल। हां… मैने कहा सिर्फ 4 साल। ऐसी उम्र में कोई क्या कर सकता है। हमने और आपने क्या किया होगा। घर के दरवाज़ें के बाहर भी शायद ना गएं हो। पर ये 4 साल का ‘मरवान’ अपने घर से एक बैग उठाए निकल जाता है। उसकी मां, उसके बाप और बहन की सीरियाई जंग में मौत हो चुकी है। ‘मरवान’ सीरिया से भाग रहे एक काफिले के पीछे चल पड़ता है। ये काफिला सीरिया को छोड़कर जार्डन में बने शरणार्थी शिविर की तरफ भाग रहा है।

इस काफिले में हर कोई पेराशन है। किसी को एक दूसरे को देखने की फुरसत नहीं है। सब परेशान, घायल और अपनी मौत से बचने के लिए रेगिस्तान के बीच से भाग रहे हैं। ये काफिला किसी तरह रेगिस्तान होते हुए जार्डन के बार्डर पर पहुंचता है। यहां बचाव टीम उन्हें अलग-अलग शिविर में ले जाती है। धीरे-धीरे काफिले के लोग शिविरों में जा रहे हैं। सबसे आखिरी में एक चार साल का बच्चा अपने हाथ में एक बैग लिए काफी पीछे आता दिखाई दे रहा है।

ये बच्चा ‘मरवान’ है, इसे देखकर बचाव टीम सोचती है कि काफिले में आए किसी शरणार्थी का बच्चा छूट गया है। पर जब कोई आगे नहीं आता तो बच्चे से पूछताछ होती है। बच्चा अपना नाम ‘मरवान’ बताता है। टीम उसकी उम्र 4 साल बताती है। वो भूखा है, प्यासा, थका है, पांव सूज गएं हैं, हाथ फूले हुए हैं… चेहरे पर ज़ख्म हैं। पर ये ‘मरवान’ है… ज़िंदगी से हारा नहीं है। क्योंकि ये खुदाई चमत्कार ही तो है जो काफिले में सबसे पीछे होने के बाद भी वो जार्डन पहुंच जाता है। बच्चे के बैग से उसकी मां और बहन का कपड़ा निकलता है।

‘मरवान’ इस समय जार्डन में शरणार्थी शिविर में है। पर उसकी कहानी दुनिया के हर हिस्से में पहुंच चुकी है। उसकी कहानी ने दुनिया में हर ताकतवर के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा मारा है। उसकी कहानी दुनिया के एक हिस्से में हो रहे ज़ुल्म की दास्तां को बयान कर रही है। सीरिया की लड़ाई को सब अपने नफे-नुकसान के हिसाब से देख रहे हैं। इस जंग का नतीजा कुछ भी निकले पर जब भी दुनिया में इंसानियत का इतिहास लिखा जाएगा तो सीरिया नाम का एक काला पन्ना भी दिखेगा।

One thought on “सीरिया: इस बच्चे ने तो रेगिस्तान को चीर कर रख दिया”
  1. Shubhan allah mashah allah allah is bachhe ko sabar ataa farmaye aur inke maa baap ko jannat naseeb ataa farma

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