सूरत, गुजरात
गुजरात के सूरत में जिस इमारत में शुक्रवार को भीषण आग लगी वह एक डुप्लेक्स बिल्डिंग थी और बिल्डर ने अवैध रूप से इसकी तीसरी मंजिल बनाई थी। इस कॉम्प्लेक्स के ऊपर के मंजिलों पर जाने के लिए लकड़ी की केवल एक सीढ़ी थी, जो आग लगते ही जल गई। घटना के बाद यह पता चला है कि सूरत नगर निगम (एसएमसी) के पास स्थित तक्षशिला आर्केड में अवैध निर्माण किया गया था। गैरकानूनी रूप से छत पर खड़ा विशाल गुंबद वराछा रोड पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने आसानी से इसे नजरंदाज कर दिया।
तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में फर्स्ट फ्लोर, सेकेंड फ्लोर और एक टॉप फ्लोर बनाकर उसे एक गुंबद से कवर कर दिया गया था, जबकि यह इमारत मात्र एक डूप्लेक्स थी। इमारत के पहले तीन तलों पर दुकानें और ऑफिस थी और टॉप फ्लोर पर एक जिम के साथ-साथ समर क्लासेज चलाई जा रही थीं। समर क्लासेज के तहत फैशन डिजाइनिंग, परसनालिटी डेवलपमेंट कोर्स और अन्य कोर्स चलाए जा रहे थे। इनमें से 10वीं और 12वीं कक्षा की कोचिंग भार्गव पटेल (भूतानी) चला रहा था। इसके टॉप फ्लोर पर राजीव पटेल वैदिक-मैथ्स की कोचिंग चला रहा था।
मौत के बाद प्रशासन हुआ सक्रिय
4 मंजिला व्यावसायिक परिसर में हुए भीषण अग्निकांड के एक दिन बाद सूरत पुलिस ने इस मामले में कोचिंग क्लास संचालक भार्गव भूटानी को हिरासत में ले लिया है। इस अग्निकांड में 20 छात्रों की मौत हो गई थी। सूरत पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। तीन लोगों में कॉम्प्लेक्स के बिल्डर हर्षल वेकरिया और जिग्नेश तथा कोचिंग सेंटर के मालिक भार्गव भूटानी शामिल हैं। इन तीनों पर जानबूझकर लोगों की हत्या करने का आरोप लगा है। राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने इस मामले में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है।
20 छात्रों की हुई थी मौत
शुक्रवार की शाम सूरत स्थित एक परिसर में चौथी मंजिल पर गुंबद जैसी संरचना में भीषण आग लग गई जिसमें कम से कम 20 किशोर विद्यार्थियों की मौत हो गई। ये सभी छात्र-छात्राएं कोचिंग क्लास में भाग ले रहे थे। यह कोचिंग क्लास सूरत के सरथाना इलाके के तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में चलाई जा रही थी। इस घटना का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इमारत के चौथे तल पर घने धुएं के गुबार के बीच फंसे हताश विद्यार्थी और लोग जान बचाने के लिए तीसरी और चौथी मंजिल से कूदते दिख रहे हैं।
सूरत विकास प्रधिकरण की लापरवाही
सूरत शहरी विकास प्राधिकरण (SUDA) वारछा के जोनल चीफ डीसी गांधी ने बताया कि, ‘2001 में सूडा ने ‘टाउन प्लानिंग स्कीम नंबर 22’ के तहत इस टाउन में एक आवासीय भवन बनाने की अनुमति दी थी. इसके बाद 2007 में अवैध रूप से यहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर लिया गया। 2012 में जब बिल्डिंग रेगुलाइजेशन के नियम बनाए गए, उसके तहत 2013 में इंम्पैक्ट-फी का भुगतान करके इस अवैध भवन को कानूनी रूप से नियमित कराकर दूसरी मंजिल को वैध घोषित करा दिया गया।”
इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि इमारत में अग्नि सुरक्षा के नियमों का कोई अनुपालन नहीं किया गया था क्योंकि नियमानुसार केवल जमीन और तीन मंजिल भवन ही अनिवार्य अग्नि सुरक्षा कानून के तहत आते हैं। कोचिंग क्लासेस के संचालक अवैध गुंबदनुमा बिल्डिंग के तीसरे तल पर नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट फॉर आर्किटेक्चर (NATA) परीक्षा के लिए कक्षाएं चला रहे थे।