नई दिल्ली
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मंगलवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। लगातार 18 महीने की सुनवाई के बाद 5 जजों की बैंच ने इस पर फैसला सुनाया। बेंच में शामिल दो जजों ने तीन तलाक पर छह महीने की रोक लगा दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से कहा है कि वह इस मामले में कानून बनाए।
सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बात पर हामी भरी है। कोर्ट ने धर्म के मामले में दखल देने से साफ इनकार कर दिया है। पीठ में 5 में से 3 जजों ने कहा कि तीन तलाक असंवैधानिक है। कोर्ट ने कहा कि सरकार छह महीने में इस पर कानून लेकर आए।
मालूम हो कि 16 अप्रैल को तीन तलाक पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि अगर तीन तलाक का गलत इस्तेमाल किया गया, तो ऐसा करने वालों का सोशल बायकॉट किया जाएगा। पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना वलीम रहमानी ने कहा था कि “पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि तीन तलाक औरत को मुश्किलों से बचाने के लिए है। हम दूसरे मज़हब में दखल नहीं करते हैं, तो दूसरा मज़हब भी हमारे मामले में दखल ना दे। तलाक का मामला शरीयत के हिसाब से ही रहेगा। जब कोर्ट का फैसला आएगा, तब हम उसे देखेंगे।