नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के अलवर में गत 24 जुलाई को हुई कथित मॉब लिंचिंग की घटना को लेकर सोमवार को राज्य सरकार से जवाब तलब किया। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनते हुए राजस्थान सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को दो हफ्ते के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
जयसिंह ने दलील दी कि मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के महत्वपूर्ण आदेश के चंद दिनों बाद (24 जुलाई को) ही राजस्थान में फिर से मॉब लिंचिंग की घटना हुई और पुलिस ने यह स्वीकार किया है कि घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाने में देरी हुई और घायल व्यक्ति की मौत हो गयी।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “अब फैसला दिया जा चुका है और इस पर अमल किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता तो हम इससे निपटेंगे।” खंडपीठ ने राजस्थान के गृह विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी करके दो हफ्ते के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। हालांकि उसने प्रधान सचिव को व्यक्तिगत रूप से तलब करने के सुश्री जयसिंह के अनुरोध को ठुकरा दिया।
न्यायालय मॉब लिंचिंग के मामलों में उसके आदेश के अनुपालन से संबंधित स्थिति रिपोर्ट को लेकर सुनवाई कर रहा था। सुश्री जयसिंह ने अलवर मॉब लिंचिंग मामले में अलग से एक अवमानना याचिका भी दायर की है। शीर्ष अदालत को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े की ओर से जब यह अवगत कराया गया कि अभी तक केवल एक ही राज्य ने अनुपालन रिपोर्ट पेश किया है तो उसने दो हफ्ते का और वक्त राज्य सरकारों को दिया।