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22 Nov 2024, Fri

मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त

SUPREME COURT CONDCERN OVER MOB LYNCHING 1 030718

नई दिल्ली । 

सुप्रीम कोर्ट ने देश में लगातार हो रही मॉब लिंचिग की घटनाओं पर चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक अपराध है और इसे गोरक्षा या बच्चा चोरी की अफवाहों तक सीमित नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता है और इस तरह की घटनाओं पर काबू पाना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि यह कानून व्यवस्था का मामला है और इसके लिए राज्य सरकारें पूरी तरह से ज़िम्मेदार हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि गोरक्षा के नाम पर भीड़ हिंसा पर उतारू हो गई है जो कि एक अपराध है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कहा कि केंद्र को परिस्थितियों की जानकारी है और वह इससे निपटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना मुख्य समस्या है।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि मॉब लिंचिंग के लिए अलग कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा कि लोगों की सुरक्षा राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी है। केंद्र ने कहा कि राज्यों की कानून व्यवस्था बनाने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए वह राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी करे।

मालूम हो कि दो दिन पहले ही महाराष्ट्र के धुले ज़िले में भीड़ ने बच्चा चोर होने के शक में पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। वहीं सोमवार को मालेगांव में इसी तरह की अफवाह पर भरोसा कर चार लोगों को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। पिछले कुछ दिनों में वॉट्सऐप मैसेज की अफवाहों के चलते देश के कई हिस्‍सों में लोगों को मार डालने की घटनाएं सामने आई हैं। झारखंड, त्रिपुरा, उत्‍तर प्रदेश में भी अफवाहों के चलते भीड़ ने कई लोगों की जान ले ली। फर्जी वॉट्सऐप मैसेज के चलते एक साल में करीब 29 लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं।