नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने आतंकी गोरक्षकों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षकों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए सभी राज्य सरकारों से हर ज़िले में एक नोडल ऑफिसर तैनात करने को कहा है। कोर्ट ने यह आदेश गोरक्षा के नाम पर बने संगठनों को बैन करने के खिलाफ एक पिटीशन की सुनवाई के दौरान दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को रोका जाना चाहिए। मालूम हो कि पिछले दिनों देश के कई राज्यों में गोरक्षा के नाम पर मारपीट और हिंसा के मामले सामने आए हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा रुकनी चाहिए। सभी राज्य इससे निपटने के लिए एक हफ्ते के अंदर एक टॉक्स फोर्स का गठन करें। इसके अलावा हर राज्य हर ज़िले में एक सीनियर पुलिस अफसर को नोडल ऑफिसर के तौर पर तैनात करे। यह अफसर हिंसा करने वालों के खिलाफ एक्शन लेगा। राज्यों से कथित गोरक्षकों और उनके संगठनों के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को इनके खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए।
बेंच ने केंद्र से जवाब देने को कहा कि क्या वह संविधान के आर्टिकल 256 के तहत सभी राज्य सरकारों को लॉ एंड ऑर्डर से संबंधित आदेश दे सकती है। अपील करने वाले की तरफ से सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में दलीलें रखीं। इस दौरान उन्होंने पिछले दिनों हुई घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इन घटनाओं में बीफ रखने या खाने वाले लोगों के साथ मारपीट की गई और परेशान किया गया। इस दौरान इंदिरा जयसिंह ने सॉलिसिटर जनरल रणजीत कुमार के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार कानून हाथ में लेने वाले लोगों का समर्थन नहीं करती है।
महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की थी। इसमें उन्होंने कोर्ट से अपील की थी कि वह सभी राज्यों को गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए सभी राज्यों को आदेश दें। साथ ही ऐसे संगठनों पर बैन लगे। पिछले साल एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला ने भी कथित गोरक्षा के नाम पर हिंसा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की बेंच कर रही है।