आज़मगढ़, यूपी
बढ़ती सांप्रदायिकता, आपसी नफरत और गौरक्षा के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या के खिलाफ लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। आतंकी भीड़ के खिलाफ बढ़ते गुस्से का असर अब साफ दिखाई दे रहा है। अबन सिर्फ कुछ खास लोग बल्कि आम लोग भी सड़क पर उतर कर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में शहीद अशफाकुल्लाह खान यूथ ब्रिगेड और यूथ इण्डिया मोमेंट के बैनर तले ज़िले में एक ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ।
प्रदर्शन में ने सामाजिक, राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोगं ने शिरकत की। ये प्रदर्शन सरायमीर कस्बा के नन्दावं मोड़ पर हुआ।यहां लोगों ने इकठ्ठा होकर नफरत के खिलाफ इंसानियत की आवाज़ को बुलंद किया। धर्म और जाति की गन्दी सियासत को बंद करने की मांग की गई। लोग अपने हाथों में नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे। ये लोग पैदल मार्च करते हुए खरेवां मोड़ पर पहुंचे जहां ये मार्च जनसभा में बदल गया।
जनसभा को संबोधित करते हुए एमआईएम के ज़िलाध्यक्ष कलीम जामई ने कहा कि देश में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। धर्म और जाति के नाम पर दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को मारा जा रहा है। देश में भय का माहौल व्याप्त है। एक विशेष धर्म के लोगों के खिलाफ सांप्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है। हमें होशियार रहने के साथ ऐसे लोगों को सबक सिखाने की ज़रूरत है। हमें ज़ुल्म के शिकार लोगों के साथ खड़े होना है।
राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के युवा प्रदेश अध्यक्ष नूरुल हुदा ने कहा कि देश में भीड़तंत्र को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। ये लोग देश के गद्दार हैं। भीड़तंत्र के द्वारा हिंसा किसी भी सरकार में हुई हो, आज़मगढ़ के लोगों ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। केंद्र और प्रदेश सरकारों को इस प्रकार की घटना पर फौरन रोक लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम लोग पूरे प्रदेश में आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
जनसभा को आसिफ आरएन, राबिंसन विनायकर, तारिक शफीक, दिलराज बाबू, इमरान बंटी, मोहम्मद अशरफ समेत कई लोगों ने संबोधित किया। इसके बाद थानाध्यक्ष सरायमीर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम चार सूत्री मांग का ज्ञापन सौंपा गया। जनसभा की अध्यक्षता अशरफ आज़मी और संचालन कलीम जामई ने किया। इस कार्यक्रम में खासतौर पर मसीहुद्दीन संजरी, सलीम दाऊदी, मो अशरफ, अबु अम्मार आज़मी, शकील शेख, सिराज अहमद, मोहम्मद बेलाल, अशरफ सिराज, मुशीर अहमद समेत कई लोग मौजूद रहे।