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22 Dec 2024, Sun

सोनभद्र, यूपी

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में बुधवार को ज़मीन पर कब्ज़े की कोशिश के दौरान हुए खूनी संघर्ष में 10 आदिवासी मारे गए।दरअसल यह घटना दो तरह के सवाल खड़े करती है, पहला उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति और दूसरा जंगल की ज़मीन को लेकर हुए फर्जीवाड़े।

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यह घटना उत्तर प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न सोनभद्र ज़िले में हुई। इस ज़िले में पहाड़ियां और जंगल भूरपूर हैं। इस वजह से यहां कल-कारखाने और खदाने भी बहुतायत में हैं।

आदिवासियों का विस्थापन
राबर्ट्सगंज के वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी बताते हैं कि सोनभद्र जिले का औद्योगिकीकरण यहां के आदिवासियों के लिए परेशानी का सबब भी बना है। हालात यह है कि यहां के आदिवासी परिवारों को कई-कई बार विस्थापित होना पड़ा है। वो बताते हैं कि आदिवासियों को पहले रिहंद बांध के लिए विस्थापित होना पड़ा। उसके बाद उन्हें यहां बने बिजली घरों और रेणूकूट में बिड़ला घराने के एल्मुनियम प्लांट के लिए विस्थापित होना पड़ा।

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आवेश बताते हैं कि आदिवासियों के शोषण का आलम यह है कि इस जिले का शायद ही कोई ऐसा आदिवासी होगा, जिस पर कोई मुकदमा न चल रहा हो। बुधवार को हुई घटना सोनभद्र जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर घोरावल ब्लाक के मूर्तिया ग्राम पंचायत के उम्भा और सपही गांव की है।

आवेश तिवारी बताते हैं कि जिस ज़मीन पर कब्ज़े की कोशिश की गई, उसका इतिहास भी काफी पुराना है। वो बताते हैं कि बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी प्रभात कुमार मिश्र के पिता वहां तहसीलदार के रूप में कार्यरत थे। किसी तरह से उन्होंन 623 बीघे जमीन का गोलमाल कर दिया। इसमें से 200 बीघे जमीन 1989 में आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम कर दी गई थी। यही ज़मीन बाद में यज्ञदत्त को बेच दी गई।

ज़मीन पर कब्ज़ा
अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले यज्ञदत्त भूर्तिया बुधवार को उस ज़मीन की पैमाइश कराकर उस पर कब्ज़ा करने की नीयत से गए थे। ज़मीन को पैमाइश कराने भूर्तिया पूरी तैयारी के साथ गए थे। वो अपने साथ करीब 35 ट्रैक्टर-ट्रालियों में भर कर 100-150 लोगों को ले गए थे। वो लोग हथियारों से लैस थे। जब प्रधान के साथ आए ट्रैक्टरों ने ज़मीनों  को जोतना शुरू किया तो गांव के गोंड आदिवासियों ने उसका विरोध किया।

यह विरोध बढ़ते-बढ़ते मारपीट पर पहुंच गया। इस दौरान प्रधान के साथ आए लोगों ने गोलीबारी की। इसमें 9 लोगों की वहीं मौत हो गईं। इसमें तीन महिलाएं और छह पुरुष शामिल थे। वहीं एक घायल ग्रामीण की आज वाराणसी के ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान मौत हो गई। गोलीबारी में घायल हुए 25 लोगों में से 21 का इलाज राबर्ट्सगंज और 4 का इलाज वाराणसी के ट्रामा सेंटर में चल रहा है। पुलिस ने इस मामले में अब तक 24 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हालांकि मुख्य आरोपी यज्ञदत्त भूर्तिया अभी भी फरार है।

सोनभद्र की इस घटना ने देश में आदिवासियों के हालात को एक बार फिर उजागर कर दिया है। जंगल की जिस ज़मीन पर आदिवासी पिछले कई पीढ़ियों से खेती-बाड़ी कर रहे हैं, उस पर उनका मालिकाना हक नहीं है। वह ज़मीनें कागजों पर किसी और के नाम दर्ज है और उस पर कब्ज़ा किसी और का है।

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अब 10 लोगों की मौत हो जाने के बाद प्रशासन की नींद खुली है। सोनभद्र के जिलाधिकारी ने प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में मांग की गई है कि इस घटना में जो लोग मारे गए हैं और जो उक्त जमीन पर खेती-बाड़ी कर रहे थे, उन्हें 10-10 बीघे और जो लोग घायल हुए हैं, उन्हें पांच-पांच बीघे जमीन दी जाए। इसके अलावा ऐसे मृतक जिनके घर कोई और कमाने वाला नहीं है, उनके एक निकट आश्रित को सफाईकर्मी की नौकरी देने की गुज़ारिश की गई है।

By #AARECH