लखनऊ, यूपी
अशफाक अहमद
एक तरफ केंद्र सरकार लगातार आयुष को बढावा देने के प्रयास में लगी है तो दूसरी तरफ यूपी की योगी सरकार में आयुष के अंतर्गत आने वाली यूनानी पद्धति के विकास पर खासा ज़ोर दे रखा है। राज्य में पहले से स्थापित दो सरकारी यूनानी मेडिकल कॉलेजों के अलावा राज्य सरकार दो नये मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रक्रिया को शुरु कर चुकी है जो काबिले तारीफ है।
प्रदेश की योगी सरकार लाख कोशिश करे लेकिन बाबूगीरी, लेटलतीफी, कमीशनबाज़ी और भ्रष्टाचार का आलम ये है कि यूनानी अस्पताल के लिए तीन साल पहले आवंटित बजट का इस्तेमाल अभी तक नहीं हो पाया है। ये बजट राजधानी लखनऊ स्थित स्टेट तकमील उत्तिब यूनानी मेडिकल कॉलेज को एलाट किया गया था। बजट आवंटित होने के बाद तीन साल से फाइलों में पैसा घूम रहा है। यूनानी विभाग के ज़िम्मेदार सिर्फ ये बता रहे है कि जल्द ही बजट का इस्तेमाल हो जाएगा।
कब एलाट हुआ बजट
18 सितंबर 2018 को आयुष विभाग के विशेष सचिव सोबरन सिंह की तरफ से एक पत्र यूनानी निदेशक को जारी किया गया। इस पत्र में बताया गया कि प्रदेश सरकार की तरफ स्टेट तकमील उत्तिब यूनानी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, लखनऊ के नवनिर्मित 100 शैय्या अस्पताल की साज-सज्जा, फर्नीचर और उपकरणों के लिए कुल 498.71 लाख रूपये (चार करोड़ अठ्ठानबे लाख इकहत्तर हज़ार रूपये) का बजट प्रावधान किया गया है।
शासन में मांगा था प्रस्ताव
इस पत्र में शासन ने मेडिकल कालेज प्रशासन से इस बजट की मद में एक विस्तृत प्रस्ताव मांगा था। इसके बाद कालेज प्रशासन में इसका प्रस्ताव शासन को भेजा था। इस संबंध में मेरे द्वारा लगातार फॉलोअप लिया गया। कॉलेज की तरफ से कई बार बदलाव करके प्रस्ताव भेजे गए।
आखिर बजट खर्च क्यो नहीं हुआ
पीएनएस की छानबीन में ये बात सामने आई कि बजट खर्च न होने की वजह कॉलेज प्रशासन की लापरवाही रही है। दरअसल पहले प्रस्ताव में काम करने के लिए जिन तीन सरकारी एजेंसियों के नाम दिए गए थे उनमें दो एजेंसी एनएचआरएम घोटाले में आरोपित थी। यही नहीं फर्नीचर आदि की खरीब के लिए एक विशेष कंपनी का नाम भी सामने आया था। साथ ही इसमें काम करने के लिए कई ऐसे ठीकेदारों ने टेंडर डाले जो मानक नहीं पूरे कर रहे थे। इस मामले में जानकार बताते हैं कि ऐसा सेटिंग करके कराया जाता है ताकि अपनी पसंद की फर्म से लो रेट पर काम कराया जा सके।
बजट की मौजूदा स्थिति
यूनानी मेडिकल कॉलेज के नवनिर्मित अस्पताल में आधारभूत ढांचे की सख्त ज़रूरत है। फिलहाल तीन साल बाद प्रदेश सरकार द्वारा आवंटित बजट को सरकारी एजेंसी यूपीपीसीएल को एलाट किया गया है। इसके बाद इस एजेंसी ने एक फर्म को इसका ठेका दिया है। समाचार लिखे जाने तक अभी तक कोई सामान की सप्लाई नहीं हुई है।
भ्रष्टाचार का अंदेशा
पीएनएस द्वारा इस मामले में काफी छानबीन की गई है। कई महत्तपूर्ण पत्र निकाले गए हैं। इसके साथ ही अलग-अलग संबंधित अधिकारियों से बात की गई है। पीएनएस को अंदेशा है कि इस मामले में कमीशनबाज़ी को लेकर ही काम को काफी लेट किया गया है। पीएनएस जल्द ही इस मामले पर और खुलासा करेगी। साथ ही इसकी जांच की मांग करके संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की मुहिम चलाएगी।
आम लोगों से अपील
पीएनएस आम लोगों से अपील करती है कि अगर उनके पास भी भ्रष्टाचार से संबंधित ये इस मामले से संबंधित कोई जानकारी हो तो वो पीएनएस की मेल आईडी पर भेज सकते हैं या फिर सीधे 07839331098 पर व्हाट्सएप करके या फोन करके जानकारी दे सकते हैं।