नई दिल्ली
दिल्ली हिंसा पर आधी रात को सुनवाई कर चर्चित हो चुके जज एस मुरलीधर को गुरुवार को विदाई दी गई। विदाई देने के लिए पूरा दिल्ली हाई कोर्ट उमड़ा हुआ था। सैकड़ों की संख्या में वकील उस दौरान हाई कोर्ट की सीढ़ियों पर खड़े थे, जिस वक्त उनका विदाई समारोह चल रहा था। जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि इंसाफ सच के साथ रहे तो उसे जीतना ही है। सच का साथ देते रहिये, इंसाफ हो जाएगा।
जस्टिस एस मुरलीधर ने दिल्ली हिंसा को लेकर आधी रात को सुनवाई की थी और घायलों को समुचित इलाज और सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था। बाद में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ को ट्रांसफर कर दिया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने बीजेपी के तीन नेताओं के नफरत भरे भाषणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में दिल्ली पुलिस की नाकामी पर रोष जताया था।
जस्टिस मुरलीधर ने कहा था कि शहर में बहुत हिंसा हो चुकी है। पीठ नहीं चाहती कि शहर फिर से 1984 की तरह के दंगों का गवाह बने। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने कहा था कि पुलिस जब आगजनी, लूट, पथराव की घटनाओं में 11 प्राथमिकी दर्ज कर सकती है, तो उसने उसी तरह की मुस्तैदी तब क्यों नहीं दिखाई जब बीजेपी के तीन नेताओं -अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के कथित नफरत वाले भाषणों का मामला उसके पास आया।
जस्टिस एस। मुरलीधर ने कई केस बगैर फीस लड़े हैं। इनमें भोपाल गैस ट्रेजेडी और और नर्मदा डैम से विस्थापित लोगों के केस शामिल हैं। 1984 में के सिख विरोधी दंगों में शामिल रहे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के मामले में भी जस्टिस एस। मुरलीधर फैसला सुनाने वालों में से एक थे। साल 2009 में नाज फाउंडेशन मामले की सुनवाई करने वाली दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच में जस्टिस मुरलीधर भी शामिल थे। इस बेंच ने पहली बार समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था।