दिल्ली
जेएनयू मामले के बाद देश में राष्ट्रवाद को लेकर छिड़ी बहस में मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आज कहा कि देश में एक खास नज़रिये को थोपने की कोशिश हो रही है, जो देश के लिए खतरनाक है और वो लोग राष्ट्रवाद का संदेश दे रहे हैं जिन्होंने भारत की आज़ादी में कोई कुर्बानी नहीं दी है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि राष्ट्रवाद पर वो लोग राग अलाप रहे हैं जिन्होंने इस देश की आज़ादी और इसे बनाने में कोई कुर्बानी नहीं दी। इस तरह की कोशिश की जा रही है कि एक खास ज़ेहन के लोगों को राष्ट्रवादी बताया जाए और इस ज़ेहन की मुखालफत करने वालों को देशद्रोही बताया जाए।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि पूरे देश में एक ख़ास नजरिए को थोपने की कोशिश हो रही है, जो हमारे देश के लिए बहुत खतरनाक है। इसके खिलाफ सभी को मिलकर आवाज़ उठानी होगी और देश में अमन और भाईचारा बढ़ाने की ज़्यादा से ज़्यादा कोशिश करनी होगी। जमीयत के सदर ने यह भी इल्ज़ाम लगाया कि देश के मौजूदा माहौल में कमज़ोर तबकों खासकर अल्पसंख्यकों और दलितों को निशाना बनाया जा रहा है।
मौलाना मदनी ने कहा कि ये हालात गंभीर है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद देश में अल्पसंख्यकों और कमज़ोर तबकों की मौजूदा हालात को लेकर अगले 12 मार्च को एक सम्मेलन का आयोजन भी करने जा रही है। मौलाना मदनी ने कहा कि इस देश के लिए सभी मज़हब के लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। इस देश को मज़बूत बनाने में भी सभी का योगदान है। पर कोशिश ये हो रही है कि कुछ लोगों की कुर्बानियों को बताया जाए और बाकी की कुर्बानियों को पीछे छोड़ दिया जाए। उन्होंने हाल के महीने में आईएस से कथित तौर पर जुड़े कुछ संदिग्धों की गिरफ्तारी को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
मौलाना मदनी ने कहा कि सरकार शक के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर रही है। भारत में आईस का कोई वजूद नहीं है और इसके बावजूद लोगों को पकड़ा जा रहा है। पहले भी देखा गया है कि लोग गिरफ्तार किए जाते हैं और वे बाद में अदालतों से छूट जाते हैं लेकिन इस बीच उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है। उन्होंने कहा कि अगर कुछ लोगों का रूझान आईएस की तरफ होता है तो गिरफ्तारी इसका हल नहीं है। उन लोगों की काउंसलिंग की जानी चाहिए और उनको गलत दिशा में कदम बढ़ाने से रोक जाना चाहिए।