खुर्शीद अनवर ख़ान की फेसबुक वाल से
मुंबई, महाराष्ट्र
अफ़सोस !! 75 वर्ष की उम्र में चंचल सिंह जेल चले गए। अफ़सोस इस बात का कि जिस मुकदमे में वह जेल गए वो 40 साल पहले तब दर्ज हुआ था। जब एक गरीब को न्याय दिलाने के लिए वो प्रशासन से भिड़ गए थे। ज़्यादा अफ़सोस इस बात का भी है कि उनकी गिरफ्तारी और जेल जाने के बाद हमारे जौनपुर में कोई हलचल नहीं। सबसे दुखद बात तो यह है कि चंचल सिंह को जौनपुर की नई पीढ़ी जानती भी नहीं। जो जानते हैं वह सिर्फ इतना कि चंचल सिंह बीएचयू के छात्र संघ अध्यक्ष रहे और फेस बुक पर Chanchal bhu के नाम से लिखते हैं।
चंचल जी सिर्फ बीएचयू के अध्यक्ष नहीं रहे। साहित्य जगत में उनका नाम देश भर में सम्मान से लिया जाता है। हिंदी साहित्य की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिका “हंस” और “ज्ञानोदय” में मैंने उनके शानदार लेख, संस्मरण पढ़े हैं। सच कहूं तो इन पत्रिकाओं में उन्हें पढ़ कर ही मैंने चंचल जी को पहली बार ढंग से जाना। पेंटिंग की दुनिया में भी उनका नाम सम्मान से लिया जाता है।देश के सबसे चर्चित आर्ट गैलरियों में उनकी कला की प्रदर्शनी लग चुकी है।
सिनेमा जगत के सुपरस्टार राजेश खन्ना और राजबब्बर जैसे लोग उनके करीबी दोस्त रहे। झूठ, फरेब और मक्कारी की वर्तमान सियासत में वो कामयाब नहीं हो सके। लेकिन उनके साथ उठने-बैठने वाले उनके कई चेले राज्य से लेकर केंद्र तक सरकार में मंत्री बन गए। अपने ज़माने के सबसे बड़े समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडीज़ जब भारत सरकार के रेल मंत्री बने तो चंचल जी उनके सलाहकार रहे।
पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका नाम देश के बड़े पत्रकार भी इज़्ज़त से लेते हैं। अंग्रेज़ी और हिंदी के कई बड़े अखबारों में वो लंबे समय तक लिखते रहे। जौनपुर के पत्रकारों में सिर्फ Madhukar Tiwari जी ने उनका महत्व समझा। उनके कार्यकाल में “हिंदुस्तान” में हर सप्ताह छपने वाला उनका लेख हम लोग बड़े चाव से पढ़ते थे। पता नहीं आप में से कितने लोगों ने उनका भाषण सुना। मुझे भी सिर्फ 2 बार यह मौका मिला। बस इतना समझिए कि चंचल जी 2 घण्टे मुसलसल बोलेंगे और आप कहेंगे दो घण्टे और बोलिये। ज़बर्दस्त अंदाज़ और शैली।
मुख्तसर में कहूँ तो चंचल सिंह सिर्फ जौनपुर नहीं बल्कि यूपी की शान हैं। हर पढ़े लिखे इंसान की तरह वह भी फिरकापरस्त ताकतों के खिलाफ लिखते हैं। हो सकता है आप ऐसी कट्टर पंथी सोच के साथ खड़े हों। हो सकता है मज़हब के नाम पर फैलती नफरत के आप समर्थक हों। फिर भी आप सब से सिर्फ एक निवेदन है। चंचल जी कितने दिन जेल रहेंगे मुझे नही पता। आप लोग कल सुबह से ही जेल में उनसे मिलने की अर्जी लगाइए। उनके समर्थन में लिखिए। ताकि 75 साल के इस नौजवान का हौसला कमज़ोर न पड़े।
जय हिंद।
(खुर्शीद अनवर ख़ान पहले पत्रकार थे बाद में एक राजनीतिक दल से जुड़े रहे। फिलहाल मुंबई में हैं और स्वतंत्र लिख रहे हैं)