Breaking
21 Nov 2024, Thu

सफदर ख़ान की फेसबुक वाल से

नई दिल्ली

मैं ये कहने में कभी गुरेज़ नहीं करूँगा कि समाजवादियों की अवसरवादी राजनीति से यूपी के मुसलमान बेवकूफ़ बनते चले आ रहे हैं। दरअसल मुलायम सिंह यादव एक बेहद अविश्वसनीय राजनीतिज्ञ हैं। सत्ता के चहेते रहना ही उनकी एक मात्र राजनीति है और इसके लिए वह कब किस करवट बैठ जाएँ ये बड़ा से बड़ा ज्योतिषि भी नहीं बता सकता।

मुलायम सिंह यादव वह व्यक्ति हैं जिनकी बात पर विश्वास करना आत्मघाती हो सकता है और वह कब पलट जाएँ इसकी संभावना सदैव रहती है। मुलायम सिंह यादव ने अपने परिवार के लगभग हर व्यक्ति को सांसद और मंत्री बनवा दिया या फिर पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका दे दी। ये वही मुलायम सिंह यादव हैं जिनके लोगों ने गेस्ट हाउस में एक दलित महिला पर जानलेवा हमला करके एक समीकरण को ध्वस्त किया था। आज तक मुसलमानों का एक मुश्त वोट लेते रहे और उसकी कीमत आज़म खान जैसे नेताओं को चुकाते रहे जो खुद रामपुर के शाहजहाँ बनना चाहते हैं। पर आजम खॉन की हैसियत मुलायम सिहं के सामने ज़्यादा कुछ भी नहीं ? मुलायम सिंह यादव ने यादवों को आज कहाँ से कहाँ लाकर खड़ा कर दिया।

बिहार चुनाव में महागठबंधन से धोखा
आप बिहार चुनाव को याद कीजिए जिसमें वह खुद के बनाए गठबंधन से ही अलग हो गये थे। मुझे लगता है कि मुलायम सिंह यादव का यही निर्णय उनके लिए आत्मघाती हुआ और मुसलमानों में यह मैसेज चला गया कि जबकि महागठबंधन बिहार में बीजेपी से लड़ने का सशक्त था। उससे अलग होकर मुलायम सिंह यादव महागंठधन को कमज़ोर होने का संदेश दे रहे थे। इससे बीजेपी को वोट में ना सही नैतिक फायदा तो अवश्य हुआ।

पीस पार्टी और सपा का साथ
यूपी में मुलायम सिंह यादव के साथ पीस पार्टी गठबन्धन करके मुसलमानों का बड़ी मुश्किल से संगठित हुए वोट को बरबाद करना चाहती है। मुलायम सिंह यादव ऐसा पहली बार नहीं कर रहे हैं। महाराष्ट्र में ऐसा ही करके भाजपा की मदद करते रहे हैं। ऐसा ही दिल्ली में किया, मध्य प्रदेश में किया और गुजरात में भी ऐसा करके भाजपा विरोधी वोट को बिखेरते रहे हैं। राजनीति में मुलायम सिंह यादव से अविश्वसनीय राजनीतिज्ञ कोई नहीँ फिर भी मुसलमान उनको एकमुश्त वोट देते रहे हैं और उस 2014 के चुनावों में भी जबकि उनके अपने यादव वोट ही नरेन्द्र मोदी के मायाजाल में फंसकर भाजपा की ओर चले गये।

यूपी की बदहाली
जनता जान चुकी है उत्तर प्रदेश की बदहाली और उत्तर प्रदेश की अराजकता की वजह इनकी मिलीभगत है। ये दल तुष्टीकरण की होड़ में जनहित के वादे भूल चुके हैं। सत्ता में बने रहने के लिए इनको देश के लोकतंत्र, संविधान, संवैधानिक संस्थाओं, विकास और सामाजिक समरसता की कोई फिक्र नहीं है। जीतने पर सत्ता के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं।

सपा मुसलमानों की हितैषी नहीं
मैं खुले शब्दों में यह कहता हुँ कि मैं किसी सपाई से नहीं डरता। उत्तर प्रदेश को सपा के गुण्डे, अपराधी, माफिया, बलात्कारी, भ्रष्ट गर्व करते रहे हैं। सपा के राज में प्रदेश में अपराधी बेखौफ हैं और कानून हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा है। मुज़फ़्फरनगर का दंगा सपा ने करवाया। मरहुम डीएसपी ज़ियाउलहक़ के कातिल राजा भईया को संरक्षण देती रही और अन्त में राजा भैया और संगीत सोम जैसे कई अपराधियों को क्लीन चिट समाजवादी पार्टी ने दिया। मुसलमानों पर हुए हर ज़ुल्म उत्तर प्रदेश पुलिस हर बार मामले को दबाने का प्रयास करती है। मरहुम एख़लाक़ के कातिलों को तिरंगा और सरकारी नौकरी देकर सम्मानित किया।

आखिर में…
उत्तर प्रदेश के मुसलमान, दलित, और गरीब किसानों… हमें संकल्प लेना होगा कि उत्तर प्रदेश की जनता काम करने वाली सरकार में यकीन रखती हैं। यह उत्तर प्रदेश की जनता तय करेगी की 2019 में किसे वोट देने से उत्तर प्रदेश का विकास होगा। जो उत्तर प्रदेश की जनता को अमन चैन के साथ विकास के पहियों पर चला कर भारत में सर्वोचय प्रदेश का गौरव प्रदान कर सके। आगामी चुनाव में हमें सपा के जाल में नहीं फंसना है।