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17 Oct 2024, Thu

“जगदीश गांधी शिक्षा माफिया ही नहीं भू-माफिया भी”

SANDEEP PANDEY ON CMS SCHOOL BRANCH ON INDIRA NAGAR 1 040118

लखनऊ, यूपी

हाल ही में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उप्र आवास एवं विकास परिषद से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि राजधानी लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल की इंदिरा नगर शाखा के चार मंजिला भवन का निर्माण बिना अनुमति के हुआ है। इसका भू-उपयोग आवासीय है व भवन के ध्वस्तीकरण का आदेश है। ये बात सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय की तरफ से जारी बयान में कही गई है।

बयान में दावा किया गया है कि स्कूल का भवन दो आवासीय प्लॉटों- ए-823 व ए-903 को मिला कर बनाया गया है। ए-903 तो विद्यालय के प्रबंधक जगदीश गांधी ने खरीद लिया था किंतु ए-823, जो सेवानिवृत आईएएस. अधिकारी आर.बी. पाठक का है, पर जगदीश गांधी ने जबरदस्ती विद्यालय का चार मंजिला भवन बना लिया है। यदि किसी के घर को तोड़कर मालिक की अनुमति के बगैर कोई अवैध निर्माण करा ले तो उसे भू-माफिया नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे?

प्रेस के लिए जारी बयान में आगे कहा गया है कि अब सवाल यह उठता है कि जो भवन ही अवैध है और जिसके ध्वस्तीकरण का आदेश है उसमें चलने वाले विद्यालय को क्या मान्यता मिल सकती है? यदि सिटी मांटेसरी की इंदिरा नगर शाखा की आईसीएससी द्वारा प्राप्त मान्यता रद्द कर दी जाती है तो इसमें पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के भविष्य का क्या होगा?

ए-823 के अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का आदेश 5 जुलाई 2003 का है और ए-903 के अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का आदेश 17 मार्च 2015 का है फिर भी आज तक भवन खड़ा हुआ है व विद्यालय का यथावत संचालन हो रहा है। अधिशासी अभियंता के अनुसार एक बार अनाधिकृत निर्माण हटाने का प्रयास किया गया किंतु प्रबंधक द्वारा विद्यालय के बच्चों को सामने बैठा दिया गया।

संदीप पाण्डेय ने कहा कि अधिकारियों से यह पूछा जाना चाहिए कि ध्वस्तीकरण की कार्यवाही तब क्यों नहीं की गई जब विद्यालय में बच्चे न हों, जैसे स्कूल की छुट्टी के बाद अथवा अवकाश के दिन? इससे लगता है कि अधिकारियों की जगदीश गांधी के साथ मिली भगत है अन्यथा बीस वर्ष बीतने के बाद भी ध्वस्तीकरण की कार्यवाही नहीं हो पाई है।

संदीप पाण्डेय ने कहा कि इस समय यूपी की योगी सरकार की प्राथमिकता भू-माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही है? क्या योगी सरकार जगदीश गांधी के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है? सिटी मांटेसरी स्कूल, इंदिरा नगर शाखा के ध्वस्तीकरण के आदेश का पालन क्यों नहीं?