डॉ अशफाक अहमद
लखनऊ, यूपी
मुसलमानों, दलितों और पिछड़ों की बात करने वाली पीस पार्टी अब ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जिस पर बाकी पार्टियों को चलने का वह आरोप लगाती रही है। आदर्शवाद का ढिढोरा पीटने वाले पार्टी के अध्यक्ष अब माफिया, गुंडे और चुनाव के मौके पर दूसरी पार्टियों से आने वालों को टिकट दे रहे हैं। यहीं नहीं पीस पार्टी ने बीजेपी से आए एक नेता को भी टिकट थमा दिया है।
समाज में पिछड़े वर्ग, मुसलमानों और मूलनिवासियों की बात पर ही पीस पार्टी ने अपना प्रचार केंद्रित कर रखा था। चुनाव करीब आते ही इस आदर्शवाद को पीस पार्टी ने किनारे रख दिया गया। पार्टी ने निषाद पार्टी और अपना दल से गठबंधन किया है। अब इस गठबंधन ने ये एलान किया है कि वह 403 सीटों पर चुनाव लड़ाएंगे। गठबंधन ने प्रदेश में कई गुंडे, माफिया और दूसरे दलों से आएं नेताओं को टिकट दे दिया है। दरअसल गठबंधन ने अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की पूरा तरह अनदेखी कर दी है।
माफिया विजय मिश्रा को टिकट
ज्ञानपुर में सपा के माफिया विधायक विजय मिश्रा का पार्टी ने टिकट काट दिया तो पीस पार्टी ने तुरंत एलान कर दिया कि वो विजय मिश्रा को टिकट देगी। ये अलग बात है कि अभी तक विजय मिश्रा ने हां नहीं कहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि वो नई पार्टी बनाएंगे। ज्ञानपुर में पीस पार्टी का न तो बहुत बड़ा जनाधार है और न ही इस ज़िले में पार्टी की पूरी यूनिट काम कर रही है। सवाल ये है कि आखिर पीस पार्टी अध्यक्ष ने विजय मिश्रा को टिकट देने का एलान क्यों कर दिया।
माफिया धनंजय सिंह का समर्थन
जौनपुर के बाहूबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर भी पीस पार्टी की नज़र है। पीस पार्टी गठबंधन ने जौनपुर की मलहनी सीट से उन्हें टिकट दे दिया है। हालांकि इससे पहले वो बीएसपी और राष्ट्रीय लोकदल से टिकट लेने की कोशिश में थे। यहां निषाद पार्टी का थोड़ा जनाधार है लेकिन पीस पार्टी ने आखिर क्यों समर्थन किया ये बात समझ से परे हैं।
बीजेपी से आए नेता को टिकट
सिद्धार्थनगर में राधे रमण त्रिपाठी बीजेपी के पुराने नेता रहे हैं और वो ज़िले की शोहरतगढ़ सीट से बीजेपी से टिकट मांग रहे थे। बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी। पीस पार्टी ने उनका पलके बिछाकर स्वागत ही नहीं किया बल्कि उनके पार्टी का टिकट भी दे दिया। जबकि यहां पार्टी के कई पुराने समर्पित कार्यकर्ता टिकट मांग रहे थे। अब सवाल ये है कि जिस बीजेपी पर मुसलमानों, दलितों और पिछड़ों के खिलाफ साजिश का आरोप पार्टी अध्यक्ष लगाते रहे हैं उन्ही की पार्टी के नेता को टिकट देना कहां तक जायज़ है।
माफिया अजय सिपाही बना उम्मीदवार
इसी तरह अंबेडकरनगर ज़िले के कटेहरी ब्लाक प्रमुख माफिया सरगना और समाजवादी पार्टी नेता अजय सिपाही को पीस पार्टी में शामिल कर लिया गया है। अजय के ऊपर कई बड़े मामले दर्ज हैं। पार्टी ने उन्हें कटेहरी विधान सभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इसके साथ ही निषाद पार्टी ने भी उनको समर्थन दिया है। मालूम हो कि अजय सिपाही सपा से टिकट मांग रहे थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला।
अन्त में…
इसके अलावा भी कई ऐसे उम्मीदवार है जिन पर दर्जनों केस हैं और पीस पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है। कई उम्मीदवारों को पहले टिकट दिया गया और बाद में उन्होंने अपनी पार्टी छोड़कर पीस पार्टी ज्वाइन की। पार्टी नेतृत्व पहले जिस आदर्शवाद की बात करता था आखिर वो आदर्शवाद अब कहां गया। पार्टी अध्यक्ष ऐसे लोगों को टिकट क्यों दे रहे हैं जिनकी छवि दागदार है या फिर वो बीजेपी से आएं हैं। ऐसा लगता है कि पार्टी ने सिर्फ जीत का पैमाना तय कर रखा है। साल 2012 में पीस पार्टी को 4 सीटें मिली थी लेकिन कई उनमें तीन विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी। दरअसल उस चुनाव में भी पार्टी ने ऐसे ही टिकट बांटे थे।