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21 Dec 2024, Sat

सर सैय्यद ने मुस्लिमों को एहसास-ए-कमतरी से निकाला: डॉ आफताब

SIR SYED DAY IN GHAZIPUR 1 171017

ख़ान अहमद जावेद/ शहज़ाद ख़ान

गाज़ीपुर, यूपी

1857 के बाद जब अंग्रेज भारत पर राज करने लगे तो भारतीय मुसलमान एहसास-ए-कमतरी का शिकार हो गया था। अंग्रेजों ने मुसलमानों को साज़िश करके कुचल दिया था। इस पीड़ा से उन्हें निकालना आसान नहीं था। पर सर सैय्यद अहमद ने न सिर्फ मुसलमानों को इस कमतरी से बाहर निकाला बल्कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना करके इतिहास बदल दिया। ये बातें डॉ आफताब अहमद आफाकी ने सर सैय्यद दिवस के मौके पर कही।

ज़िले के एमएएच इंटर कॉलेज के तत्वधान में सर सैय्यद डे का आयोजन किया गया था। इसमें ज़िले भर के अलीग बिरादरी के साथ काफी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर मौजूद लोगों ने सर सैय्यद अहमद को याद। इस मौके पर वाराणसी से आए डॉ आफताब अहमद आफाकी मुख्य अतिथि रहे। सर सैयद दिवस का शुभारंभ मोहम्मद सज्जाद अली कादरी के तिलावते कलाम पाक से किया गया। स्कूल के प्रबंधक वारिस हसन खान ने आए हुए मेहमानों का इस्तकबाल किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मजहर हुसैन तथा संचालन अनवारुल हसन  ने किया।

मुख्य अतिथि डॉ आफताब ने कहा कि हम अपने बुजुर्गों को याद करके अपने को जिंदा रहने का सबूत देते हैं। उन्होंने कहा कि वक्त भले ही खराब चल रहा हो लेकिन हमें घबराने की ज़रूरत नहीं है। डॉ आफताब ने बताया कि हिंदू, हिंदी का जो शब्द है यह एक अरबी का शब्द है। हिंदी और उर्दू का संबंध चोली-दामन का है। दोनों भाषाओं की व्याकरण एक है। इनको एक दूसरे से अलग सिर्फ राजनेता कुर्सी बचाने के लिए अलग करते रहते हैं। हमें सिर्फ होशियार रहने की जरूरत है।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता पूर्व राज्य सभा सांसद आस मोहम्मद ने कहा सर सैय्यद अहमद ने मुसलमानों को नाउम्मीदी से उठाकर साइंसी तालीम पर ज़ोर दिया था। आज जो हालात है ठीक वैसे ही है जैसे सर सैय्यद के ज़माने में थे। वही हालात आज दोबारा मुसलमानों के हो गए हैं। इसलिए हमें साइंसी तालीम पर ज़ोर देने की ज़रूरत है। आज पूरी दुनिया में अंग्रेज, अंग्रेजी तालीम से दुनिया को मुट्ठी में किए हुए हैं। यहीं नही बल्कि अपने यहां साइंसी रिसर्च के ज़रिए से वह दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर लिए हैं। हमारे यहां रिसर्च की बहुत कमी है।

पूर्व सांसद आस मोहम्मद ने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बन रहा है और न बन सकता है। अलबत्ता यहां के कुछ हिंदू और कुछ मुस्लिम मिलकर इसे ईसाई राष्ट्र बनाने का मंसूबा बना लिये है। शिक्षा से लेकर, नाम और पहनावा(पोशाक) तक इन लोगों ने बहुत खूबसूरती के साथ ईसाईयत को अपना लिया है। भारत की देशी गाय माता की जगह अब तो गैर मुल्क की आस्ट्रेलियन गायों ने अपना यहां घर  बना लिया है । ऐसी हालत में अब मुल्क गुलामी की तरफ बढ़ रहा है।

एमएएच कॉलेज के प्रिंसिपल खालिद अमीर ने सर सैय्यद दिवस मनाने के बारे में लोगों को बताया कि सर सैयद अहमद खान 1862 से 1864 तक गाज़ीपुर में रहकर जो ख्वाब देखा था उसे अब कहां तक गाजीपुर में शिक्षा के मैदान में काम किया जा सकता है।

इस अवसर पर इलाहाबाद से अहमद तल्हा, मोहम्मद तौफीक खान, सैयद उल हसन, डॉ लईक अहमद, शमीम अहमद शमीम, हंटर ग़ाज़ीपुरी, बादशाह राही, विजय यादव समेत कई लोगों ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर कॉलेज के तलबा समा परवीन, सना परवीन, सायरा सिद्दीकी, काजिम रजा, हैदरी हुसैन, अब्बास जैदी, मोहम्मद तय्यब, गयासुद्दीन, रफिया मनाज़िर, आबिद हुसैन ने कविताएं और मकला के ज़रिए सर सैयद अहमद खाँ को खिराजे अकीदत पेश किया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से रामनरेश सिंह यादव, हनुमान सिंह यादव, मास्टर तारिक, अशोक सिंह यादव, मोहम्मद रजी, सैयद हुसैन जैदी एडवोकेट, आफताब अहमद एडवोकेट, खालिद अब्बास गोरखपुर, आफताब अहमद मऊ, मोहम्मद शौकत खान, गुलाम अली खान शामिल रहे।