भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के वक़्त एक अच्छी ख़बर है कि दोनों मुल्क सिख श्रद्धालुओं के लिए सहयोग करने पर तैयार हो गए हैं। दो दिन पहले अंतरराष्ट्रीय सिख सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ननकाना साहिब को सिखों का मक्का और करतारपुर साहिब को मदीना करार दिया था।
उन्होंने वादा किया था कि सिखों को इन जगहों पर तीर्थयात्रा के लिए पाकिस्तान मल्टीपल वीज़ा देगा। दो दिन बाद भारत और पाकिस्तान इस बात पर सहमत हो गए हैं कि करतारपुर कॉरिडोर होते हुए गुरुद्वारा दरबार साहिब में मत्था टेकने जाने वाले श्रद्धालुओं को वीज़ा के बग़ैर यात्रा करने की सुविधा दी जाएगी।
बुधवार को दोनों देशों के अधिकारियों के बीच अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर बैठक हुई। बैठक में पाकिस्तान ने गुरुद्वारा जाने वाले श्रद्धालुओं पर सेवा कर लगाने पर ज़ोर दिया, लेकिन भारत ने पाकिस्तान की इस मांग को नामंजूर कर दिया। हालांकि पाकिस्तान ने कहा कि गुरुद्वारा परिसर में भारतीय दूतावास के अधिकारियों और प्रोटोकॉल अधिकारियों की मौजूदगी उसे मंज़ूर नहीं है। भारत ने कहा कि वो इस पर फिर से विचार करे।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक़ दोनों देश पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं को वीज़ा-फ्री आवागमन पर रज़ामंद हो गए हैं। ये सुविधा ओआईसी (ओवरसीज़ सिटिज़न ऑफ़ इंडिया) कार्ड धारकों को भी हासिल होगी। करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते जाने वाले श्रद्धालु बेरोकटोक यात्रा को अंज़ाम दे सकते हैं।
दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि रोज़ाना 5,000 श्रद्धालु गुरुद्वारा जा सकते हैं औऱ ख़ास मौक़ों पर ये संख्या 5 हज़ार के पार भी जा सकती है। ये इस बात पर निर्भर करेगा कि पाकिस्तान ने अतिरिक्त श्रद्धालुओं के लिए क्या व्यवस्था की है। नवंबर 2018 में भारत और पाकिस्तान करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए बॉर्डर पार करने के लिए विशेष व्यवस्था करने पर रज़ामंद हुए थे। दरबार साहिब सिखों के लिए बेहद पवित्र जगह है। 22 सितंबर 1539 को गुरु नानक ने यहीं पर आख़िरी सांस ली थी।
गुरुद्वारा दरबार साहिब को करतारपुर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। ये पाकिस्तान के नारोवर ज़िले में रावी नदी के किनारे बसा है। यहां जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन डेरा साहिब है। गुरुद्वारा भारत और पाकिस्तान की सीमा के बेहद क़रीब है। पाकिस्तान ने भरोसा दिया है कि ये कॉरिडोर सालों भर खुला रहेगा।
कोई भी यात्री चाहे तो अकेला या फिर समूह में यहां का दर्शन कर सकता है। दोनों देश बूढ़ी नदी पर एक पुल बनाने पर भी तैयार हो गए हैं। सीमा पार करने पर दोनों देशों के बीच आपसी सामंजस्य के साथ व्यवस्था की जाएगी ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो।