उपभोक्ता मांग और निवेश में कमी के साथ ही देश में मंदी का संकट गहराता जा रहा है। बता दें कि जून 2019 में सरकार के पूंजीगत व्यय में करीब 30 प्रतिशत की कमी आयी है। वहीं इंडिया इंक द्वारा नए प्रोजेक्ट के ऐलान पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। मंदी के असर को देखते हुए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कई शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की।
इस बैठक में अर्थव्यवस्था में आयी इस मंदी से निपटने के उपायों पर चर्चा हुई। हालांकि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि निवेश में आयी कमी अभी लंबी चलेगी और देश की अधिकतर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां भी निकट भविष्य के लिए निराशावादी बनी हुई हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अप्रैल-जून 2019 में एक इंडस्ट्रियल आउटलुक सर्वे किया था, जिसमें शामिल 1231 मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां शामिल हुई थी।
इस सर्वे में पता चला कि देश की 31.6 प्रतिशत मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां ही अपने ऑर्डर में वृद्धि की उम्मीद कर रहीं थी, जो कि बीते दशक में सबसे कम है। अर्थव्यवस्था का आलम ये है कि नए प्रोजेक्ट नहीं आ रहे हैं। स्टेटिक एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन मंत्रालय के अनुसार, देश में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से चल रहे 65 प्रोजेक्ट में से 1 मई, 2019 तक 37 प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं।
जून 2019 की तिमाही नए प्रोजेक्ट के लिहाज से सबसे खराब तिमाही में से एक रही। दरअसल नए प्रोजेक्ट की घोषणाओं में भारी कमी आयी है। CMIE के अनुमान के मुताबिक साल 2018-19 में जहां 2.7 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का ऐलान हुआ, वहीं जून 2019 की तिमाही में यह घटकर सिर्फ 71,000 करोड़ पर आ गया है।