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18 Oct 2024, Fri

नागरिकता संशोधन कानून का हिंसक विरोध करने वालों पर लगाम लगाने के मकसद से यूपी पुलिस ऐसे लोगों को नोटिस भेज रही है, जिनसे शांति भंग होने का खतरा है। हालांकि, पुलिस की यह कार्रवाई उस वक्त सवालों के घेरे में आ गई, जब उसने ऐसे शख्स को नोटिस भेज दिया, जिसकी मौत 6 साल पहले हो गई थी। दरअसल, यह शख्स हैं फिरोजाबाद के बन्ने खां, जिनका इंतकाल 6 साल पहले ही हो गया था। जब पुलिस का नोटिस उनके परिजनों को मिला तो हड़कंप मच गया।

यह है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, फिरोजाबाद में शांति भंग न हो, इसके लिए यूपी पुलिस करीब 200 लोगों की पहचान की थी और उन्हें नोटिस जारी किया था। इन्हीं 200 लोगों में बन्ने खां का नाम भी शामिल है, जो 6 साल पहले ही गुजर गए थे।
नोटिस में लिखी यह बात: बताया जा रहा है कि बन्ने खां के परिजनों को एक नोटिस पुलिस की ओर से मिला है। उसमें लिखा है, ‘‘बन्ने खां को सिटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना है और 10 लाख रुपए का मुचलका भरकर जमानत लेनी होगी।’’

पुलिस की कार्रवाई पर उठने लगे सवाल
गौरतलब है कि यूपी पुलिस की सख्ती के बाद हिंसक प्रदर्शनों पर लगाम लग गई, लेकिन एक मृत व्यक्ति के नाम पर जारी किए गए नोटिस से सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि क्या पुलिस वाकई संदिग्धों की पहचान कर रही है या किसी के भी नाम पर नोटिस जारी कर दे रही है। फिलहाल, इस मामले में पुलिस की ओर से कोई बयान नहीं आया है।

90 साल के बुजुर्गों को भी भेजा गया नोटिस
जानकारी के मुताबिक, फिरोजाबाद पुलिस की लिस्ट में बन्ने खां के अलावा 90 साल के बुजुर्गों के नाम भी शामिल हैं। ये शख्स हैं शूफी अंसार हुसैन और फसाहत मीर खां। शूफी अंसार हुसैन करीब 90 साल के हैं और वह करीब 58 साल से जामा मस्जिद की सेवा कर रहे हैं। इनके अलावा 93 साल के फसाहत खां शहर के जाने-माने समाजसेवी हैं। उन्होंने राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से भी मुलाकात की थी।

नोटिस को लेकर बेटे ने कही यह बात
फसाहत खां को नोटिस मिलने के बाद उनके बेटे ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा, ‘‘फसाहत मीर खां का नाम समाजसेवी के रूप में पूरे शहर में मशहूर है। मेरे वालिद को राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से राष्ट्रपति भवन में मिलने का सौभाग्य प्राप्त है। इसके बावजूद उन्हें पाबंद कर दिया, यह समझ नहीं आता।’’

By #AARECH