मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सरकार से अयोध्या में मस्जिद के लिए ऐसी जगह जमीन मांगी है, जहां इस्लामिक यूनिवर्सिटी भी बन सके। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सोमवार को मिलने पहुंचे शिया व सुन्नी धर्मगुरुओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने यह मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने फैसले के बाद प्रदेश में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीएम को बधाई दी। करीब एक घंटे तक चली मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने भी मुस्लिम धर्मगुरुओं को शांति की अपील व आपसी सौहार्द बनाने में सहयोग के लिए बधाई दी।
योगी ने कहा कि कानून-व्यवस्था के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगी। इस दौरान नदवा कॉलेज के मौलाना सलमान हुसैन नदवी ने इस्लामिक यूनिवर्सिटी की मांग रखी। प्रतिनिधिमंडल में मौलाना हमीदुल हसन, मौलाना सलमान हुसैन नदवी, मौलाना फरीदुल हसन, मौलाना यूसुफ हुसैनी सहित अन्य धर्मगुरु उपस्थित रहे।
अल्पसंख्यकों के साथ पक्षपात हो तो तुरंत बताएं
सीएम ने प्रतिनिधि मंडल को अल्पसंख्यकों के कल्याण की योजनाओं के बारे में बताया तो मौलाना हमीदुल हसन ने कहा कि इसका लाभ नीचे के लोगों तक नहीं पहुंच रहा। सीएम ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है। कोशिश होगी कि योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के विकास एवं उत्थान के लिए प्रदेश सरकार हरसंभव मदद को तैयार है। अगर कहीं अनावश्यक रूप से परेशान किए जाने या पक्षपात होता है तो इसकी जानकारी दी जाए। सरकार कार्रवाई करेगी।
ढाई साल में 18 बार अयोध्या जा चुके सीएम योगी आदित्यनाथ रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला आने के बाद कार्तिक पूर्णिमा के बाद फिर रामनगरी जाएंगे। वे रामलला के दर्शन के साथ साधु-संतों से मंदिर निर्माण की योजना पर बात करेंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी योगी के साथ अयोध्या जा सकते हैं। स्वतंत्र देव ने उनसे सोमवार को इस पर अनौपचारिक बातचीत की।
इकबाल अंसारी ने कहा- अधिगृहीत भूमि में से 5 एकड़ जमीन दे सरकार
राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने मांग की है कि मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन अधिगृहीत की गई 67 एकड़ जमीन में से ही दी जानी चाहिए।
अंसारी व कुछ अन्य मुस्लिम नेताओं का कहना है कि जमीन उनकी सहूलियत के हिसाब से मिले तभी लेना स्वीकार करेंगे। केंद्र सरकार ने विवादित क्षेत्र के साथ इस जमीन का अधिग्रहण 1991 में किया था।