लखनऊ (उत्तर प्रदेश)।
समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के नेता शिवपाल सिंह यादव मंगलवार को राजधानी में ‘श्रीकृष्ण वाहिनी’ के सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने सपा में हुये उनके अपमान की पीड़ा को खुल कर व्यक्त किया। उन्होंने विधानसभा चुनाव-2017 का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव में मुझे हराने की कोशिश की गयी लेकिन फिर भी 50 हजार वोट से जीता।
‘समाजवादी सेकुलर मोर्चा’ बनाने के बाद शिवपाल यादव मंगलवार को राजधानी लखनऊ में यादव समुदाय के संगठन श्रीकृष्ण वाहनी की ओर से आयोजित राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल हुए। यह कार्यक्रम इस दौरान उन्होंने रावण और कंस के जरिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधा। वहीं, अपने और मुलायम सिंह यादव के रिश्ते के बारे में भी कई पुरानी बातें सांझा कीं।
शिवपाल ने कहा कि रावण लंका में राज करता था, ज्ञानी था फिर भी असत्य पर चलता था, लेकिन भगवान राम सत्य के साथ धर्म पर चलने वाले थे। उन्होंने कहा कि सीता माता का अपहरण हुआ लेकिन जो सत्य पर चलते हैं हमेशा उनकी विजय होती है। रावण खोखला था, लंका भी खोखली थी।
शिवपाल ने कंस का उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी कंस पैदा होते हैं। हमारे यहां भांजे और बहन को कितना पवित्र माना जाता है, लेकिन कंस ने बहन, बहनोई को जेल में डाल दिया था। मगर, जब कोई धर्म को नष्ट करने की कोशिश करता है तो क्या फल होता है, रावण मारा गया, कंस भी मारा गया।
शिवपाल ने कहा हम चाहते हैं कि पिछड़े समाज को न्याय मिले, समाज में परिवर्तन हो, समाज स्वस्थ हो, दिमाग भी स्वस्थ हो। कभी-कभी लोगों का दिमाग असंतुलित हो जाता है। सत्ता पाकर कभी अभिमान नहीं आना चाहिये, मैंने तो कभी कोई पद नहीं मांगा। तमाम उतार चढ़ाव आये लेकिन नेता जी के साथ रहा ।
शिवपाल ने कहा, मेरा तो नौकरी का ‘अपॉइंटमेंट’ हो गया था, लेकिन आना तो राजनीति में था। जब बहुत छोटा था, तब तो साईकिल में पैर भी नहीं आते थे, नेता जी की चिट्ठी बांटता था। साइकिल मिल जाती थी तो लगता था बहुत बड़ी गाड़ी मिल गयी है। तब तो साईकिल चलाकर ही चुनाव लड़ा है। पूरे-पूरे इलेक्शन में छह- छह महीने साइकिल चलायी है। उन्होंने कहा, जब स्कूल में पढ़ते थे दो जोड़ी कपड़े ही मिलते थे। मैंने तो संघर्ष देखा है, फिर भी कभी पद नहीं मांगा। अगर मुझे वर्ष1980 में टिकट मिल जाता तो तभी विधायक बन जाता, लेकिन टिकट मिला 1996 में।