जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A हटाने के बाद अब वहां देश का कोई भी नागरिक जमीन खरीद सकता है। केंद्र सरकार के इस फैसले का प्रभाव हिमाचल प्रदेश पर पड़ने लगा है। कई नेता अब हिमाचल में जमीन खरीदने पर लगाई गई रोक पर सवाल उठा रहे हैं।
ये बोले सुखबीर बादल
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बाद अब पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने भी मांग की है कि हिमाचल में जमीन खरीदने पर लगी रोक हटनी चाहिए। अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ की खबर अनुसार, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि पंजाब में हर भारतीय बिजनेस और उद्योग लगाने के लिए जमीन खरीद सकता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में ऐसा नहीं है। सुखबीर ने कहा कि एक देश के अंदर इस तरह का प्रावधान खत्म होना चाहिए।
ये कहा
लोकसभा में मंगलवार जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल पर चर्चा के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया और कहा कि क्या वह हिमाचल में एग्रीकल्चर लैंड खरीद सकते हैं? असदुद्दीन ओवैसी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद भी हैं। वह जम्मू कश्मीर से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35A हटाने संबधी बिल को लेकर हो रही चर्चा में बोल रहे थे।
अनुच्छेद 118 पर भी विक्रमादित्य की चिंता
हिमाचल के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के बेटे और मौजूदा विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कश्मीर को लेकर केंद्र के इस फैसले का स्वागत किया था। साथ ही हिमाचल में अनुच्छेद 118 के प्रावधानों को लेकर भी लिखा। विक्रमादित्य ने आंशका जताते हुए लिखा कि अब हिमाचल में लोगों में अनुच्छेद 118 हल्के करने को लेकर भी डर है। हालांकि, उन्होंने कहा अगर किया जाता है तो कांग्रेस उसका डटकर विरोध करेगी और यह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।
क्या है अनुच्छेद 118
साल 1972 में हिमाचल में एक विशेष कानून बनाया गया। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि दूसरे राज्यों के पैसे वाले और सुविधा संपन्न लोग प्रदेश में जमीनें ना सकें। दरअसल, 70 के दशक में हिमाचल की जनता आर्थिक तौर पर इतनी मजबूत नहीं थी। आशंका जताई गई कि लोग जमीनें बेच देंगे और हिमाचली भूमिहीन हो जाएंगे।
इन्हें जाता है अनुच्छेद 118 का श्रेय
हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले सीएम डॉक्टर यशवंत सिंह परमार सरकार ने यह कानून बनाया था। हिमाचल प्रदेश टेनंसी एंड लैंड रिफॉर्म्स एक्ट 1972 में विशेष प्रावधान किया गया। एक्ट के 11वें चैप्टर ‘कंट्रोल ऑन ट्रांसफर ऑफ लैंड’ में धारा-118 के तहत ‘गैर-कृषकों को जमीन बेचने पर रोक लगा दी गई। साथ ही ऐसे किसी भी व्यक्ति को जमीन ट्रांसफर नहीं की जा सकती है, जो कृषक नहीं है।
धूमल सरकार ने किया था संशोधन
2007 में धूमल सरकार बनी तो उन्होंने धारा-118 में संशोधन किया और प्रावधान किया कि बाहरी राज्य का व्यक्ति जो हिमाचल में 15 साल से रहता हो और बोनोफाइनड हों, वह जमीन खरीद सकता है। इसका खासा विरोध हुआ था। बाद में कांग्रेस सरकार ने इस शर्त को बढ़ाकर 30 साल कर दिया था।