लखनऊ, यूपी
सोशल मीडिया पर प्रचार करके बड़े ज़ोरशोर से बनाए गए इत्तेहाद फ्रंट अपनी पहली ही मीटिंग में बिखरता नज़र आया जब पीस पार्टी ने अपने आपको इस फ्रंट से अलग कर लिया। इसी के साथ मुस्लिम इत्तेहाद की बाद एक बार फिर बेमानी साबित होती दिख रही है। विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों के बिखराव को रोकने के लिए मुस्लिम नेतृत्व की दावेदार पार्टियों ने साझा मंच इत्तेहाद फ्रण्ट बनाया था।
मालूम हो कि 19 जुलाई को ही इत्तेहाद फ्रंट का गठन किया गया था लेकिन इसकी शुरुआत में ही झटका लगा है। पीस पार्टी इस फ्रंट में शामिल होने के बाद अब अलग हो गई है। पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अय्यूब ने इस फ्रंट में शामिल होने से इनकार कर दिया है। दरअसल इस फ्रंट में पीस पार्टी ही अकेला एसा दल था जिसने पिछले चुनाव में सफलता हासिल की थी। अगर बाकी दलों की बात करें तो ज़्यादातर दलों का जमीनी स्तर पर कोई खास प्रभाव नहीं है। इन दलों के पास न तो संगठन हैं और न ही कार्यकर्ता।
डॉ अय्यूब की नाराज़गी इस बात से भी कि पीस पार्टी को इस फ्रंट में प्रमुखता नहीं मिली। फ्रंट का कंवेनर इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष सुलेमान को बनाया गया जबकि पॉलिटिकल यूनिटी कंपेन चलाने वाले इस्माइल बाटलीवाला को भी ज़िम्मेदारी दी गई थी। इस फ्रंट में कोई बड़ी ज़िम्मेदारी न मिलने से ही डॉ अय्यूब नाराज़ बताए जाते हैं।
9 अगस्त को लखनऊ के राजा बाजार स्थित चारयारी मंजिल में इत्तेहाद फ्रण्ट की बैठक हुई। इस बैठक में पीस पार्टी शामिल नहीं हुई। बैठक में तय हुआ कि आल इण्डिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और कौमी एकता दल के अफज़ाल अंसारी फ्रंट में शामिल होने के ले बातचीत की जाए। जल्द से जल्द इन दोनों नेताओं से मुलाकात के लिए वेलफेयर पार्टी आफ इण्डिया के अध्यक्ष कासिम रसूल इलियास को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
INNalha WAINNALALHE RAJUOON,mujhe is baat ka dar tha.Hum muslim bhi akeeb hai apnon hote hain tU chate hain kursi mujhe hi mile aur gheron main kursi fikar nahin hoti balke kursi wale ki fikar hoti hai.