जौनपुर, यूपी
यूपी में दो चरणों में होने वाले नगर निकाय चुनाव का पहले चरण का मतदान बिल्कुल करीब आ चुका है। ऐसे में 4 मई को होने वाले मतदान के लिए सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। जौनपुर ज़िले की शाहगंज नगर पालिका सीट की इस बार खूब चर्चा में है। दरअसल इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार का आंतरिक विरोध और विपक्षी दलों की घेराबंदी ने चुनाव को रोचक बना दिया है। यहां सपा से रचना सिंह, बीजेपी ने वर्तमान चेयरमैन गीता जायसवाल और बीएसपी से सुमन गुप्ता मैदान में हैं।
भितरघात की शिकार बीजेपी
इस बार सबसे ज्यादा चर्चा बीजेपी की हो रही है। दरअसल यहां से उम्मीदवार गीता जायसवाल को चुनाव प्रचार में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी उम्मीदवार और मौजूदा चेयरमैन से बीजेपी कार्य़कर्ता और पदाधिकारी काफी नाराज़ हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि गीता जायसवाल ने पार्टी को किनारे करके सिर्फ परिवार के सदस्यों को बढ़ावा दिया। उनके पति कार्यकर्ताओं की पूरे पांच साल अनदेखी करते रहे और उन्हें बेइज्जत करते रहे। अब बीजेपी उम्मीदवार बाहर से कार्यकर्ताओं को बुलाकर प्रचार करा रही है लेकिन उन्हें भौगोलिक स्थिति पता न होने की वजह से कोई फायदा नहीं हो रहा है।
छुटभैया माफिया को कमान
चुनावी चक्रब्यूह में फंसती बीजेपी उम्मीदवार ने एक नया नुस्खा अपनाया है। उन्होंने अपने चुनाव प्रचार की कमान एक छुटभैया माफिया के हाथ में सौंप दी है। दरअसल भितरघात को देखते हुए बीजेपी उम्मीदवार ने छुटभैया माफिया को बुलाकर चुनाव प्रचार कराया। अपने प्रचार में छुटभैया माफिया ने न सिर्फ धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया बल्कि विरोधियों को धमकाया भी। दरअसल छुटभैया माफिया की नज़र शाहगंज में ज़मीन के कारोबार पर है और वो यहां अपनी जड़े जमाना के लिए प्रयास कर रहा हैं। सूत्रों के मुताबिक इसकी वजह से बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराज़गी और बढ़ गई। उन्हें लगता है कि इससे पार्टी को और नुकसान होगा।
आरएसएस नाराज़
सूत्रों के मुताबिक मौजूदा बीजेपी उम्मीदवार से संघ के नेता काफी नाराज़ हैं। दरअसल अपने कार्यकाल के दौरान चेयरमैन ने संघ के नेताओं से दूरी बनाए रखी। साथ की संघ से जुड़े लोगों के काम को भी चेयरमैन ने ध्यान नहीं दिया। इससे नाराज़ संघ के कई पदधिकारी तो प्रचार के लिए घर से भी नहीं निकल रहे हैं।
स्थानीय लोगों की भारी नाराज़गी
बीजेपी उम्मीदवार को चुनाव प्रचार में कई जगह भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कुछ जगहों पर निवासियों ने उन्हें प्रचार करने से रोक दिया तो कई जगह स्थानीय निवासियों ने उन्हें प्रचार के बगैर वापस कर दिया। बीजेपी उम्मीदवार के समर्थन में आए बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के शाहगंज विधायक रमेश सिंह को तो भारी विरोध का सामना करना पड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय लोगों ने मौजूदा चेयरमैन के खिलाफ उन्हें जमकर खरी खोटी सुनाई। विधायक रमेश सिंह उल्टे पांव लौटे।
चुनाव में छुटभैये माफिया की इंट्री, कार्यकर्ताओं की नाराज़गी और भितरघात, संघ की बेरूखी के बीच सवाल ये है कि बीजेपी उम्मीदवार अपनी जीत की नैया को कैसे पार लगाएंगी।