जौनपुर, यूपी
शाहगंज में हुई मनी ट्रांसफर केंद्र संचालक के साथ सरेआम लूट की घटना में जांच किसी फिल्मी कहानी की तरह आगे बढ़ रही है। इस कहानी में एक तरफ पुलिस के मुखबिर के फेल होने की कहानी सामने आ रही है तो दूसरी तरफ पुलिस वादी पर ही दबाव डालकर घटना को संदिग्ध बनाने की कोशिश कर रही है। इस लूटकांड में स्थानीय कोतवाल की सुस्त पुलिसिंग की चर्चा भी खूब है। इस जांच में ज़िले पूर्व मंत्री और मौजूदा सत्तापक्ष के विधायक के हस्तक्षेप की बात भी सामने आ रही है।
छापेमारी जारी पर नतीजा शून्य
मनी ट्रांसफर केंद्र संचालक से गुरुवार की दोपहर इमरानगंज बाजार में हुई 7.5 लाख रुपए की लूट की घटना के लिए शाहगंज कोतवाली पुलिस ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है। पुलिस ने एक पूर्व प्रधान के घर व उसकी फैक्ट्री पर छापा मारकर पूर्व प्रधान समेत 4 लोगों को हिरासत में लिया है। इसके अलावा छापेमारी करके अन्य जगहों से भी दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया है। पर पुलिस को अभी तक घटना से जुड़ा कोई क्लू नहीं मिला है। वैसे पुलिस दावा तो कर रही है कि वह खुलासे के करीब है पर सच्चाई ये है कि पुलिस सिर्फ हिरासत में लोगों और उन्हें छोड़ने का काम कर रही है।
पुलिसिया कार्रवाई में नेताओं का दबाव
वेस्टर्न यूनियन के संचालक के लूटकांड मामले में हो रही पुलिसिया कार्रवाई में कई स्थानीय नेता बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। ज़िले के एक पूर्व मंत्री, मौजूदा सत्तापक्ष के एक विधायक पूछताछ के लिए बुलाये जा रहे लोगों को फोन करके जबरदस्ती छुड़वा दे रहे हैं। इसकी वजह से पुलिस जांच में आगे नहीं बढ़ पा रही है।
बाहरी अपराधियों पर नज़र
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लूटकांड में स्थानीय अपराधियों की रेकी के बाद बाहरी अपराधियों द्वारा घटना को अंजाम दिया गया है। वहीं दूसरी अस्पष्ट ब्लू-प्रिंट न मिलने से लूटकांड की घटना पर भी पुलिस सवाल खड़ा कर रही है। हालांकि एक सीसीटीवी फुटेज सामने आई है जिसमें बाइक सवार जाते दिख रहे हैं। वादी ने इन बाइक सवारों को संदिग्ध बताया है।
पुलिस का मुखबिर तंत्र फेल
इस घटना में अब तक पुलिस को कोई सुराग न मिलने की वजह मुखबिर तंत्र का फेल होना बताया जा रहा है। पहले पुलिस के पास तंत्र होने के साथ मुखबिरों की एक जमात भी होती थी जो पुलिस के लिए चप्पे-चप्पे पर नज़र रखती थी। मौजूदा समय में दोनों फेल है। पुलिस अब ऐसे लोगों से संबंध बना कर रखी है जो या तो पैसे वाले हैं या फिर जिनका राजनीतिक रसूख है। दरअसल अपने काले कारनामे पर पर्दा डालने के लिए ऐसा किया जा रहा है। शाहगंज कोतवाल की सुस्ती की चर्चा भी चारों तरफ है। सूत्र बताते है कि जहां पैसों का खेल होता है वहां पुलिस फौरन पहुंच जाती है।
वादी पर दबाव
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुकदमा दर्ज कराने वाले वादी पर पुलिस लगातार दबाव बना रही है। सूत्रों ने तो यहां तक बताया कि वादी पर पुलिस ने दबाव बनाने के लिए बल प्रयोग तक किया है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस लूट की इस घटना को फर्जी बताने के लिए वादी पर दबाव डाल रही है।
क्या है मामला
खेतासराय में वेस्टर्न यूनियन केंद्र का संचालन करने वाले शाहगंज नगर के एराकियाना मोहल्ला निवासी अरशद से असलहे के बल पर मोटरसाइकिल सवार अज्ञात बदमाशों ने 7.5 लाख रुपए की लूट घटना को अंजाम दिया। ये घटना पुलिस महकमे के सामने एक बड़ी चुनौती की तरह खड़ी हो गई। पुलिस अधीक्षक दिनेश पाल सिंह ने घटनास्थल का मुआयना करके घटना के खुलासे का निर्देश दिया खुलासे के लिए पुलिस पूर्व में हुई लूट की घटनाओं में शामिल रहे अपराधियों के बीच से कड़ी तलाशने की कवायद शुरू की। पुलिस ने क्षेत्र के सिधाई, भादी, ताखा पूरब, ताखा पश्चिम, कछरा वह कई अन्य जगहों पर उसी रात ताबड़तोड़ छापेमारी की थी और दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया था।
पेशेवर तरीके से की गई लूट
पुलिस सूत्रों ने बताया कि जिस तरह दुःसाहसिक ढंग से दिनदहाड़े सरेराह लूट की घटना को अंजाम दिया गया है उससे अपराधियों को पेशेवर होने की आशंका है। इस बात को ध्यान में रखकर पुलिस क्षेत्र के उन अपराधियों पर शिकंजा कसना शुरू किया है जो पूर्व के लूट की घटनाओं के किसी न किसी रूप में शामिल रहे हैं।
लूट की हो चुकी है कई वारदात
इससे पहले 14 जुलाई 2015 को नगर के घास मंडी चौक स्थित मनी ट्रांसफर के व्यवसाई अब्दुल रशीद से 16.10 लाख रुपए की लूट की घटना को अंजाम देकर बदमाशों ने सबको चौंकाया था। इसी तरह 20 जनवरी वर्ष 2016 में एचडीएफसी बैंक के गार्ड से बंदूक छीनने के बाद 24 लाख रुपए की लूट की घटना को बदमाशों ने अंजाम देकर एक बड़ी चुनौती पुलिस के सामने खड़ी कर दी थी। इस दुःसाहसिक ढ़ग से हुई इन वारदातों का पुलिस ने खुलासा करने का दावा किया था। करीब 2 साल बाद लूट की इस बड़ी घटना से आम लोगों दहशतफैल गई है वहीं व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
पुलिस के सामने विश्वास जीतने की चुनौती
मनी ट्रांसफर लूटकांड के बाद आम लोगों का पुलिस से भरोसा कम होता जा रहा है। वहीं स्थानीय व्यापारी भी काफी परेशान हैं। ऐस में स्थानीय पुलिस पर ये जबाव है कि वह इस लूटकांड का पर्दाफाश करके जनता का विश्वास दोबारा जीते और आम लोगों में कानून के प्रति विश्वास जगाए।